राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि मेडिकल के अंतिम वर्ष के उन छात्रों को एफएमजी परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी, जो कोविड और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत लौटे हैं और जिन्हें अधिसूचना तिथि पर डिग्री प्राप्त हुई है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने 23 जून को एक हलफनामे में कहा कि विदेशी चिकित्सा स्नातक (एफएमजी) परीक्षा उत्तीर्ण करने पर, ऐसे विदेशी चिकित्सा स्नातकों को मौजूदा एक साल के मानदंड के बजाय दो साल के लिए कंपलसरी रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप (सीआरएमआई) करनी होगी।
विदेशी चिकित्सा स्नातक दो वर्ष तक सीआरएमआई पूरा करने के बाद ही पंजीकरण के पात्र होंगे। एनएमसी के हलफनामे में कहा गया है कि क्लीनिकल प्रशिक्षण के लिए इंटर्नशिप की अवधि को दोगुना कर दिया गया है ।
एनएमसी के रुख पर गौर करते हुए, शीर्ष अदालत ने 25 जुलाई के आदेश में कहा, ’23 जुलाई के हलफनामे के साथ दायर अनुपालन रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया जाता है। वर्तमान में विभिन्न आवेदनों के सिलसिले में आगे कोई आदेश देने की अपील नहीं जा सकती। तदनुसार आवेदनों का निपटारा किया जाता है। यदि कोई लंबित आवेदन हो, तो उसका भी निपटारा किया जाता है।’
उच्चतम न्यायालय ने 29 अप्रैल को नियामक संस्था को रूस-यूक्रेन युद्ध और महामारी से प्रभावित एमबीबीएस छात्रों को एक बार के उपाय के रूप में यहां के मेडिकल कॉलेजों में अपना क्लीनिकल प्रशिक्षण पूरा करने की अनुमति देने के लिए दो महीने में एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।
एनएमसी ने हलफनामे में कहा कि 29 अप्रैल के फैसले के बाद, उसके स्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड (यूजीएमईबी) ने अपनी विभिन्न बैठकों में विदेशी चिकित्सा स्नातकों से संबंधित मामले पर चर्चा की और विचार-विमर्श किया।
यूजीएमईबी के सदस्यों, स्वास्थ्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श के दौरान, यह बताया गया कि यूक्रेन के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में 20,672 भारतीय छात्र नामांकित हैं, जो ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं।
एनएमसी ने हलफनामे में कहा कि मेडिकल के अंतिम वर्ष के उन छात्रों को एफएमजी परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी, जो रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत लौटे हैं और जिन्हें अधिसूचित होने की तिथि पर डिग्री प्राप्त हुई है। इनमें वे छात्र भी शामिल हैं, जो कोविड-19 के कारण चीन से लौटे हैं।