भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi) व्रत रखते हैं. इस दिन गाय और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं. आइए जानते हैं पूजा मुहूर्त और महत्व के बारे में.
हिंन्दू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi) व्रत रखते हैं. इसे बहुला चौथ भी कहते हैं. इस दिन भाद्रपद की संकष्टी चतुर्थी भी होती है. इस साल बहुला चतुर्थी व्रत 15 अगस्त दिन सोमवार को है. इस दिन गाय और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने और व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है. जो महिलाएं संतान वाली हैं, वे अपनी संतान की मंगल कामना के लिए यह व्रत रखती हैं. इस दिन संकष्टी चतुर्थी व्रत भी है, इसलिए इस दिन गणेश जी की भी पूजा करते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं बहुला चतुर्थी व्रत की पूजा का मुहूर्त, तिथि आदि के बारे में.
बहुला चतुर्थी व्रत 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 14 अगस्त दिन रविवार को रात 10 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है, जो अगले दिन 15 अगस्त सोमवार को रात 09 बजकर 01 मिनट तक मान्य है. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर बहुला चतुर्थी व्रत 15 अगस्त को रखा जाएगा. इस दिन स्वतंत्रता दिवस भी है.
बहुला चतुर्थी 2022 पूजा मुहूर्त
इस दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक है. इस दिन राहुकाल प्रात: 07 बजकर 29 मिनट से सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक है. राहुकाल में पूजा वर्जित है, इसलिए राहुकाल के बाद या उससे पूर्व ही बहुला चतुर्थी की पूजा करें.
बहुला चतुर्थी की पूजा
बहुला चतुर्थी व्रत के दिन माताएं व्रत रखती हैं और मिट्टी से गाय और शेर की मूर्ति बनाकर पूजा करती हैं. शेर भगवान श्रीकृष्ण हैं, जिन्होंने बहुला गाय की परीक्षा ली थी. जो मूर्ति नहीं बनाती हैं, वे भगवान श्रीकृष्ण और गाय की तस्वीर की पूजा करती हैं.
संतानहीन दंपित्त पूजा के दौरान संतान प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं. माताएं अपने बच्चों के सुखी जीवन और उत्तम स्वास्थ्य के लिए भगवान श्रीकृष्ण और बहुला गाय के प्रार्थना करती हैं.
संकष्टी चतुर्थी 2022 चंद्रोदय समय
जो लोग इस दिन संकष्टी चतुर्थी व्रत रखते हैं, वे रात के समय चंद्रमा की पूजा करते हैं. बिना चंद्रमा की पूजा किए यह व्रत पूर्ण नहीं होता है. 15 अगस्त के दिन चंद्रोदय का समय रात 09 बजकर 27 मिनट पर है.
संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं. वे अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उनके दुखों को दूर करते हैं. संकष्टी चतुर्थी कष्टों को दूर करती है.