All for Joomla All for Webmasters
बिज़नेस

Commercial Vs Residential: किस प्रॉपर्टी में निवेश के बाद किराये से होगी मोटी कमाई?

Investment in Commercial and Residential: रियल इस्टेट सेक्टर में आवासीय और व्यवसायिक दोनों तरह की संपत्तियों में निवेश के अपने बड़े फायदे हैं हालांकि कुछ विशेष कारणों को ध्यान में रखकर आपको निवेश योजना बनानी चाहिए. इनमें संबंधित प्रॉपर्टी को लेकर भविष्य में बढ़ने वाली मांग, किरायेदारों की उपलब्धता, बेहतर परिवहन व्यवस्था आदि फैक्टर्स शामिल हैं.

ये भी पढ़ें रिटायरमेंट के बाद हर महीने मिलेगी 20,000 रुपये की पेंशन, करें बस 1,000 रुपये का मासिक निवेश

मुंबई. प्रॉपर्टी में निवेश हमेशा से लोगों की पहली पसंद रही है लेकिन पिछले कुछ सालों में रियल इस्टेट सेक्टर में इन्वेस्टमेंट तेजी से बढ़ा है और इसे लेकर ग्राहकों की सोच में भी बड़ा बदलाव आया है. प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट की सबसे बड़ी वजह है इस पर मिलने वाला हाई रिटर्न. दरअसल बीते 10 सालों में प्लॉट समेत रिहायशी और कमर्शियल प्रॉपर्टी के दाम कई गुना बढ़े हैं.

प्रॉपर्टी पर मिलने वाले रिटर्न को लोग अन्य आय के तौर पर भी देखते है. इसके अलावा रियल इस्टेट सेक्टर में निवेश के अपने फायदे है. इनमें स्वयं की संपत्ति, टैक्स की बचत, किराये से होने वाली आमदनी आदि शामिल हैं. वहीं इस सेक्टर में किया जाने वाला इन्वेस्टमेंट जोखिम रहित होता है. इन सभी कारणों से प्रॉपर्टी में निवेश को लेकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है. अगर आपका मकसद प्रॉपर्टी में निवेश करके दूसरी आय अर्जित करना है तो कई सवाल मन में आते हैं. जैसे कि इस सेक्टर में किस तरह का इन्वेस्टमेंट ज्यादा फायदेमंद होगा? रेसिडेंशियल या कमर्शियल.

रेसिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी में अंतर
हालांकि इस सेक्टर में दोनों तरह के निवेश के अपने बड़े फायदे हैं हालांकि कुछ विशेष कारणों को ध्यान में रखकर आपको निवेश योजना बनानी चाहिए. इनमें संबंधित प्रॉपर्टी को लेकर भविष्य में बढ़ने वाली मांग, किरायेदारों की उपलब्धता, बेहतर परिवहन व्यवस्था आदि फैक्टर्स शामिल हैं. हालांकि रेसिडेंशियल और कमर्शियल दोनों सेगमेंट में निवेश के अपने फायदे और नुकसान हैं. ज्यादातर लोग निवेश से पहले इन पर गौर नहीं करते हैं…आइये जानते आखिर निवेश के इन दोनों विकल्पों में कब और कैसे लाभ उठाया जा सकता है.

रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी जैसे- घर, अपार्टमेंट, विला खरीदने के बाद आप स्वयं वहां रह सकते हैं या किरायेदारों को किराए पर दे सकते हैं. वहीं कमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेशक शॉप, ऑफिस स्पेस, गोदाम, होटल, रेस्तरां जैसी प्रॉपर्टी पर फोकस करते हैं और यहां अपना बिजनेस या दुकानों को महंगे किराये पर देकर बड़ी आय अर्जित कर सकते हैं.

किराये से होने वाली आमदनी
आवासीय अचल संपत्ति में किराये हर साल 3-5 प्रतिशत की वृद्धि से बढ़ता है. जबकि कमर्शियल प्रॉपर्टी में यह आंकड़ा लगभग 6-10 प्रतिशत तक पहुंच जाता है. इसलिए 10 वर्षों में रेसिडेंशियल रियल्टी सेक्टर मिलने वाला रिटर्न हर साल 8-10 फीसदी होता है लेकिन कमर्शियल प्रॉपर्टी में यह दर हर साल 13 से 15 प्रतिशत तक होती है.

आइये इस एक उदाहरण से समझते हैं मान लीजिये…आपने दिल्ली में एक 3 बीएचके फ्लैट 2 करोड़ में खरीदा और उससे आपको हर महीने 35 से 40 हजार रुपये किराया मिलता है. तो हर साल मिलने वाला किराया करीब चार लाख होगा. वहीं किराये की दर भी कई फैक्टर्स पर डिपेंड करती है. वहीं किराया भी हर साल 8 से 10 फीसदी बढ़ता है लेकिन कुछ परिस्थितियों में स्थिर भी रहता है. जबकि 5-6 करोड इन्वेस्ट करके कमर्शियल प्रॉपर्टी से हर साल 15-20 लाख का रिटर्न हासिल किया जा सकता है लेकिन यह किराया लीज के आधार पर लंबे समय तक फिक्स रहेगा यानी इसमें बढ़ोतरी नहीं होगी.

ये भी पढ़ें– फर्जी लोन ऐप के जरिए चीनी कंपनियां लगाती थीं करोड़ों की चपत; जानिए क्या था पूरा खेल, ने कैसे किईडी या भंडाफोड़

इसमें कोई शक नहीं है कि व्यवसायिक संपत्ति में मिलने वाला रिटर्न ज्यादा होता है लेकिन अगर आप छोटे स्तर पर निवेश करना चाहते हैं तो आवासीय संपत्ति में किराये से बेहतर आय अर्जित की जा सकती है. हालांकि दोनों तरह की प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करने से पहले सभी अहम कारण जैसे- कनेक्टिविटी, किराया, रखरखाव और किरायेदारों की उपलब्धता से जुड़ी बातों पर जरूर गौर करें.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top