नवरात्रि के दाैरान दुर्गा पूजा में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि अष्टमी या नवमी तिथि को साक्षात् मां दुर्गा भोजन करने आती हैं. ऐसे में कन्या पूजन करना अति फलदायी होता है.
Navratri 2022: नवरात्रि में कन्या पूजन व भोजन का विशेष महत्व है. जो व्रत के पारण के अनुसार अष्टमी या नवमी तिथि को किया जाता है. पौराणिक कथा व मान्यताओं के अनुसार कन्या के रूप में इस दिन साक्षात् मां दुर्गा ही घर भोजन के लिए आती हैं. ऐसे में व्रत पारण में पूरी भक्ति व श्रद्धा के साथ कुमारियों का पूजन कर उनको भोजन कराना चाहिए. इस संबंध में पंडित श्रीधर की एक पौराणिक कथा भी है, जो आज हम आपको कन्या पूजन की विधि के साथ बताने जा रहे हैं.
भोजन करने आई थी मां वैष्णो देवी
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार, कन्या पूजन को लेकर यूं तो अलग-अलग मान्यताएं व पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन इनमें भक्त श्रीधर की कथा सबसे प्रसिद्ध है, जिसके अनुसार संतानहीन पंडित श्रीधर ने एक दिन कुमारी कन्याओं को भोजन पर निमंत्रित किया था. जब वह कन्याओं को भोजन करवा रहा था तो उनमें मां वैष्णो देवी भी कन्या के रूप में आकर बैठ गईं.
जो श्रीधर के श्रद्धाभाव से करवाए गए भोजन से काफी प्रसन्न हुईं. इसके बाद मां ने श्रीधर से पूरे गांव के लिए भंडारा करने को कहा. एक सफल भंडारे के बाद श्रीधर के घर कन्या का जन्म हुआ, जिसकी वजह से ही नवरात्रि में व्रत पारण के दिन कन्या पूजन व भोजन का विधान बना.
उम्र के अनुसार अलग-अलग रूप
कुमारी कन्याओं का उम्र के अनुसार अलग-अलग रूप माना गया है. पंडित जोशी के अनुसार दो वर्ष की कन्या दरिद्रभंजन यानि दुख दूर करने वाली होती है. तीन वर्ष की कन्या धन- धान्य देने वाली त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या कल्याण करने वाली कल्याणी, पांच वर्ष की कन्या रोग मुक्त करने वाली कल्याणी, छह वर्ष की कन्या विजय, राजयोग व विद्या देन वाली कालिका, सात वर्ष की कन्या ऐश्वर्य देने वाली चंडिका, आठ वर्ष की कन्या बुद्धि प्रदान करने वाली शाम्भवी, नौ वर्ष की कन्या शत्रु नाश कर सम्पूर्ण कल्याण करने वाली मां दुर्गा तथा दस वर्ष की कन्या सभी मनोरथ पूरा करने वाली सुभद्रा कहलाती है, इसलिए कन्या पूजन में 2 से 10 वर्ष की कुमारी कन्याओं को निमंत्रित कर पूजन किया जाता है.
यूं करें कन्या पूजन
– सप्तमी से नवमी तक व्रत पारण के अनुसार 2 से 10 वर्ष की 9 कन्याओं को घर में आमंत्रित करें.
– कन्याओं के आने पर पुष्पवर्षा व मां दुर्गा के 9 रूपों के जयकारों के साथ उनका स्वागत करें. घर में प्रवेश होने पर उन्हें लकड़ी के पाट या कुश के आसन पर बैठाकर उनके पैरों को दूध या पानी से धोकर उनमें महावार लगाए. फिर उनके माथे पर कुमकुम या रोली का तिलक लगाकर श्रद्धापूर्वक पूजन व आरती करें.
– इसके बाद सभी कन्याओं को आसन पर बिठाकर भोजन परोसें. साथ में एक बच्चे को भी भोजन करवाएं.
– भोजन के बाद कुमारियों को दक्षिणा के साथ श्रद्धा व सामर्थ्य के हिसाब से उपहार दें.