नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। एजुकेशन लोन में हो रहे डिफॉल्ट ने देश के बैंकों की चिंता को बढ़ा दिया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में बैंकों के एजुकेशन लोन पोर्टफोलियो का 8 फीसदी एनपीए हो गया है।
ये भी पढ़ें– Rule Change: 1 अक्टूबर से इन नियमों में होने वाला है बदलाव, जानें वरना हो सकता है बड़ा नुकसान
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल – जून) के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, एजुकेशन लोन कैटेगरी का एनपीए बढ़कर 7.82 प्रतिशत हो गया है। जो कि कुल 80,000 करोड़ रुपये के करीब है। इस पर एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने कहा कि अधिक एनपीए के कारण ब्रांच स्तर पर एजुकेशन लोन की स्वीकृति को लेकर सख्त रुख अपनाया गया है। इसके कारण लोन लेने के लिए आवेदन करने वाले सही उम्मीदवारों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
वित्त मंत्रालय ने बुलाई थी बैठक
हाल ही में एजुकेशन लोन में आ रही समस्या और देरी को लेकर वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें बैंकों से देरी कम करने को कहा गया था। इसके साथ ही बैंकों से केंद्रीय शिक्षा ऋण ब्याज सब्सिडी योजना (CSIS) के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए भी कहा था।
ये भी पढ़ें– Train Cancelled: रेल यात्री ध्यान दें, गरीब रथ और जन शताब्दी समेत आज कैंसिल हो गई हैं 240 से अधिक ट्रेनें
सरकारी बैंक देते हैं 90 प्रतिशत एजुकेशन लोन
आरबीआई की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2020 तक देश में 90 प्रतिशत एजुकेशन लोन सरकारी बैंकों की ओर से दिया गया था। वहीं, निजी बैंक 7 प्रतिशत और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs) 3 प्रतिशत एजुकेशन लोन देते हैं।
आरबीआई की ट्रेंड और प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया 2020-21 की रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में मार्च 2020 तक 79,056 करोड़ रुपये, मार्च 2021 तक 78,823 करोड़ रुपये का एजुकेशन लोन बकाया था। वहीं, यह 25 मार्च, 2022 तक बढ़कर 82,723 करोड़ रुपये हो गया है।