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Monetary Policy Review: ब्याज दरों में कितनी बढ़ोतरी, क्या होगा असर? कल से शुरू होगी RBI की बैठक

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RBI Monetary Policy: महंगाई और ग्रोथ से जुड़ी चिंताओं को लेकर रिजर्व बैंक दुनियाभर के सेंट्रल बैंक की नीतियों का अनुसरण कर सकता है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई से निपटने के लिए लगातार चौथी बार इंटरेस्ट रेट बढ़ाए हैं. वहीं RBI भी रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है.’

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मुंबई. बढ़ती महंगाई और अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद अब भारतीय निवेशकों और बाजार विश्लेषकों की नजर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की आगामी बैठक पर है. आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग 28 से 30 सितंबर तक चलेगी और बैठक के आखिरी दिन रिजर्व बैंक रेपो रेट की दरों में बदलाव की घोषणा करेगा. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकता है.

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, मुद्रास्फीति और ग्रोथ से जुड़ी चिंताओं को लेकर रिजर्व बैंक दुनियाभर के सेंट्रल बैंक की नीतियों का अनुसरण कर सकता है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई से निपटने के लिए लगातार चौथी बार इंटरेस्ट रेट बढ़ाए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई, जिसने मई के बाद से शॉर्ट टर्म लैंडिंग रेट (रेपो) में 140 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की है, इसमें फिर से 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है. इसके साथ यही दर 3 साल के उच्च स्तर 5.9 प्रतिशत तक जा सकती है.

महंगाई से जुड़े आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता
इससे पहले RBI ने मई में रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट और जून व अगस्त में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी. फिलहाल वर्तमान दर 5.4 प्रतिशत है. रेपो रेट में बढ़ोतरी की अटकलें अगस्त में महंगाई से जुड़े आंकड़ों के आने के बाद लगाई जाने लगी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) अगस्त में फिर से बढ़कर 7 प्रतिशत हो गई थी. इससे पहले मई में आए CPI डेटा से महंगाई के मोर्चे पर नरमी के संकेत मिले थे. दरअसल आरबीआई अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति तैयार करते समय खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है.

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महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए यूएस फेड ने भी लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में वृद्धि की. वहीं ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के केंद्रीय बैंकों ने भी मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए इंटरेस्ट रेट बढ़ाए. पीटीआई के अनुसार, बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति लगभग 7 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी हुई है और फिलहाल कम अवधि में इसके नीचे आने की संभावना नहीं है. वहीं सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि रिटेल महंगाई दर 4 प्रतिशत पर बनी रहे, जिसमें दोनों तरफ 2 प्रतिशत का अंतर हो.

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