राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों (अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे) को दो टूक जवाब दिया है कि वह कांग्रेस के वफादार के लिए कुर्सी छोड़ेंगे, गद्दार के लिए नहीं. फिलहाल गहलोत अपना समर्थन दिखाने और शक्ति प्रदर्शन करने के बाद मामले को ठंडा रखना चाहते हैं. उनके समर्थक कह रहे हैं की कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का फैसला होना चाहिए.
जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों (अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे) को दो टूक जवाब दिया है कि वह कांग्रेस के वफादार के लिए कुर्सी छोड़ेंगे, गद्दार के लिए नहीं. फिलहाल गहलोत अपना समर्थन दिखाने और शक्ति प्रदर्शन करने के बाद मामले को ठंडा रखना चाहते हैं. उनके समर्थक कह रहे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का फैसला होना चाहिए. इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए. अशोक गहलोत और उनके समर्थक विधायकों को अब आलाकमान के अगले निर्देश का इंतजार है. वहीं सचिन पायलट ने इस पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साध रखी है. दरअसल, दो साल पहले सचिन पायलट की बाड़ेबंदी की याद दिलाकर अशोक गहलोत और उनके समर्थक उन्हें गद्दार बोल रहे हैं.
वे किसी भी कीमत पर उनको मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहते. गहलोत समर्थित विधायकों का आरोप है कि सचिन पायलट ने बीजेपी के साथ मिलकर राजस्थान में सत्ता परिवर्तन की नाकाम कोशिश की थी. उनकी वफादारी पार्टी के प्रति नहीं, बल्कि पद के प्रति है. कांग्रेस के करीब 85 विधायकों का कहना है कि अगर अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद छोड़ते हैं, तो उनका कोई करीबी ही कुर्सी पर बैठना चाहिए. वे सचिन पायलट को कतई स्वीकार नहीं करेंगे. आलाकमान चाहे तो किसी तीसरे को सीएम बना दे. सूत्रों की मानें तो अशोक गहलोत की भी यही शर्त है. केंद्रीय पर्यवेक्षक बनकर जयपुर पहुंचे अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे न तो सभी विधायकों से वन टू वन बात कर पाए, न ही अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक ही होने दी. अब दोनों ऑब्जर्वर दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से बात करेंगे.
अब राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक 19 अक्टूबर के बाद होगी
राजस्थान में नए सीएम को लेकर पैदा हुए राजनीतिक संकट को शांत रखने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने अब आगामी 19 अक्टूबर तक विधायक दल की बैठक नहीं कराने का फैसला लिया है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच छिड़े सियासी जंग के कारण रविवार रात यह फैसला लिया गया. अब राजस्थान में विधायक दल की बैठक कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बाद होगी. सभी कांग्रेस विधायक 19 अक्टूबर के बाद दिल्ली जाएंगे और सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. ऐसा माना जा रहा था कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे और राजस्थान में सचिन पायलट की सीएम के रूप में ताजपोशी होगी. लेकिन गहलोत गुट की बगावत के कारण सीएम की कुर्सी सचिन पायलट के पास आते-आते रह गई.
तमाम रणनीति के बावजूद पायलट को प्रदेश की कमान मिलने पर संशय खड़ा हो गया है. बताया जा रहा है कि ऑब्जर्वर्स विधायकों से सचिन पायलट को सीएम बनाने की हामी भराने के लिए पूरी तैयारी के साथ जयपुर आए थे, लेकिन गहलोत समर्थकों ने इसे स्वीकार नहीं किया. फिलहाल जो परिस्थितियां हैं, उसमें सचिन पायलट के पक्ष में गिने चुने विधायकों ही दिखाई पड़ रहे हैं. अशोक गहलोत का पलड़ा एक बार फिर भारी है. कांग्रेस के करीब 82 विधायक रविवार रात राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास पहुंच गए थे. उन्होंने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की दिशा में इस्तीफा देने की बात कही है. इस पूरे घटनाक्रम के बाद अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को मायूस होकर दिल्ली वापस आना पड़ा.