All for Joomla All for Webmasters
बिज़नेस

अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें भारत के लिए परेशानी का कारण क्यों? 3 बड़े कारणों से इसे समझें

US Fed Rate Hike Impact on India: अधिकांश जानकारों का मानना ​​है कि इस बार यह एक विकसित अर्थव्यवस्था की समस्या हो सकती है, खासकर जब से भारत की मुद्रास्फीति अमेरिका की तुलना में ज्यादा नहीं है. तो क्या हमें वास्तव में अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों या यूरोप और अमेरिका में मंदी के बारे में चिंता करनी चाहिए?

मुंबई. अमेरिकी सेंट्रल फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी भारत समेत उभरती हुई अर्थव्यवस्था के लिए समस्या क्यों बन गई है? फेड द्वारा अपनाए गए एग्रेसिव-हॉकिश टोन के मद्देनजर निफ्टी, रुपया और बॉन्ड सभी गिर रहे हैं. हालांकि अधिकांश जानकारों का मानना ​​है कि इस बार यह एक विकसित अर्थव्यवस्था की समस्या हो सकती है, खासकर जब से भारत की मुद्रास्फीति अमेरिका की तुलना में ज्यादा नहीं है.

ये भी पढ़ें– Aadhaar Kendra: आधार यूजर्स को UIDAI ने दी अब तक की सबसे बड़ी सुविधा, सुनकर खुशी से झूम उठे लोग

तो क्या हमें वास्तव में अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों या यूरोप और अमेरिका में मंदी के बारे में चिंता करनी चाहिए? इस बारे में सीनबीएसी-टीवी18 की एडिटर लता वेंकटेश ने 3 अहम कारण बताए.

यूएस-यूरोप में मंदी से भारत के व्यापार पर होगा असर
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी से भारत को होने वाले नुकसान का एक कारण एक्सपोर्ट की दर है. दरअसल विदेशों से भारत में आयात बढ़ा है. इस वित्तीय वर्ष में भारत का एक्सपोर्ट करीब 700 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. इसलिए अमेरिका यूरोप में मंदी और चीन में स्लोडाउन से भारत के आयात को नुकसान पहुंच सकता है और इससे महंगाई बढ़ सकती है जो कि अर्थव्यवस्था के लिए यह बिल्कुल अच्छा नहीं होगा.

FPI-FII यूएस बॉन्ड में निवेश के लिए प्रेरित होंगे
भारत समेत कई इमर्जिंग मार्केट में फंड विदेशों से आता है. भारत के बाजार में 13 फीसदी फंड एफपीआई रूट से आता है बाकी 87 फीसदी निवेश म्यूचुअल फंड, ग्लोबल हेज फंड से आता है अगर फेड रेट हाइक करता है तो मार्केट में विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली बढ़ेगी और यह पैसा अमेरिकी बॉन्ड की तरह जाएगा.

ये भी पढ़ें– Railway Bonus 2022: रेलवे कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, सरकार ने किया 78 दिन के बोनस का एलान

दरअसल यूएस बॉन्ड जोखिम मुक्त निवेश का माध्यम है इसलिए विदेशी निवेशक इक्विटी मार्केट से पैसा निकालकर यूएस बॉन्ड मार्केट में डालेंगे. वहीं अगर अमेरिकी फेडर रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ती है तो अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा और कंपनियों की आमदनी प्रभावित होगी. इस वजह से इक्विटी मार्केट इन्वेस्टमेंट के लिए निवेशकों को सुरक्षित नहीं लगेगा.

ब्याज दरें बढ़ने से रुपये में लगातार गिरावट
अमेरिका द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी से डॉलर मजबूत हो रहा है जबकि रुपया गिर रहा है. इसलिए रुपये में जारी गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई कुछ कदम उठा सकता है. वहीं रिजर्व बैंक की कोशिश होगी कि वह विदेशी निवेशकों को भारत में रोकने के लिए कुछ फैसले भी ले. लेकिन अगर रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है तो अर्थव्यवस्था में मंदी आ सकती है.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top