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Monetary Policy: ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर भी अब RBI के रेगुलेशन के दायरे में, जानिए डिटेल

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा के बाद कहा कि ऑनलाइन और ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर की गतिविधियों की प्रकृति एक सी है. ऐसे में मौजूदा रेगुलेशन ऑफलाइन पीए पर भी लागू करने का प्रस्ताव किया जाता है.

मुंबई. ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर (Payment Aggregators) अब रिजर्व बैंक के रेगुलेटरी दायरे में आएंगे. ये पेमेंट एग्रीगेटर दुकानों पर आमने-सामने के ट्रांजैक्शन में मदद करते हैं. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने शुक्रवार को यह घोषणा की.

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क्या है पेमेंट एग्रीगेटर
पेमेंट एग्रीगेटर से मतलब वैसे सर्विस प्रोवाइडर्स से है, जो ऑनलाइन पेमेंट के सभी विकल्पों को एक साथ इंटीग्रेट करते हैं और उन्हें मर्चेंट के लिए एक प्लेटफॉर्म पर लाते हैं.

ऑनलाइन और ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर की गतिविधियों की प्रकृति एक जैसी
दास ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा के बाद कहा कि ऑनलाइन और ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर की गतिविधियों की प्रकृति एक सी है. ऐसे में मौजूदा रेगुलेशन ऑफलाइन पीए पर भी लागू करने का प्रस्ताव किया जाता है. दास ने कहा कि इस कदम के बाद डेटा कलेक्शन और स्टोरेज के मानकों का इंटीग्रेशन होगा. ऐसे में इस तरह की कंपनियां ग्राहक के क्रेडिट और डेबिट कार्ड के ब्योरे को स्टोर नहीं कर सकेंगी.

पेमेंट इकोसिस्टम में पेमेंट एग्रीगेटर की महत्वपूर्ण भूमिका
गवर्नर ने कहा कि पेमेंट इकोसिस्टम में पीए की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसी वजह से इन्हें मार्च, 2020 में रेगुलेशन के तहत लाया गया था और पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स (PSOs) का दर्जा दिया गया था. उन्होंने कहा कि मौजूदा रेगुलेशन सिर्फ उन पीए पर लागू होते हैं तो ऑनलाइन या ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन में मदद करते हैं. ऑफलाइन पीए अभी तक इसके तहत नहीं आते थे.

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RRB के उपभोक्‍ताओं को तोहफा! इंटरनेट बैंकिंग के नियमों में ढील का प्रस्‍ताव
दास ने यह भी कहा कि आरबीआई ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक या आरआरबी (Regional Rural Banks) के लिए इंटरनेट बैंकिंग सुविधा देने को लेकर पात्रता नॉर्म्स को युक्तिसंगत बना रहा है.

रेपो दर 0.5% बढ़कर 3 साल के उच्चस्तर 5.9 फीसदी पर
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो 0.5 फीसदी बढ़ाकर 5.9 फीसदी कर दी. यह इसका 3 साल का उच्च स्तर है. खुदरा महंगाई को काबू में लाने और विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के ब्याज दर में आक्रामक वृद्धि से उत्पन्न दबाव से निपटने के लिए आरबीआई ने यह कदम उठाया है.

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