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उत्तराखंड

Roopkund Lake Uttarakhand: ये है नर कंकालों की झील, दुनियाभर से इसे देखने आते हैं सैलानी

Roopkund Lake Uttarakhand: रूपकुंड झील को देखने के लिए दुनियाभर से सैलानी आते हैं. इसे नर कंकालों की झील भी कहा जाता है. कई रहस्यों को अपने भीतर दफ्न करने वाली इस झील की खोज एक अंग्रेज अधिकारी ने आजादी से पहले की थी.

Roopkund Lake Uttarakhand: रूपकुंड झील को देखने के लिए दुनियाभर से सैलानी आते हैं. इसे नर कंकालों की झील भी कहा जाता है. कई रहस्यों को अपने भीतर दफ्न करने वाली इस झील की खोज एक अंग्रेज अधिकारी ने आजादी से पहले की थी. उस वक्त यह झील पूरी तरह मानव कंकालों और हड्डियों से भरी थी. पहले कहा गया कि ये नर कंकाल जापानी सैनिकों के हैं जो इस क्षेत्र में घुस आये थे. लेकिन जैसे ही अंग्रेजों ने इसका पता लगाने के लिए टीम भेजी तो पता चला कि ये नर कंकाल जापानियों के नहीं हैं. ये उससे भी पुराने अवशेष हैं.

झील को 1942 में एक अंग्रेज अफसर ने खोजा था. इस ग्लेशियर झील को देखने के लिए देश के कोने-कोने से सैलानी आते हैं. यह झील समुद्र तल से करीब 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसमें प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध है. यह झील साल के ज्यादातर समय जमी रहती है. झील का आकार कभी घटता तो कभी बढ़ता है. जैसे ही इस झील की बर्फ पिघलती है, यहां मौजूद नर कंकाल दिखाई देने लगते हैं. अभी तक यह साफ नहीं है कि इन नर कंकालों की मौत कैसे हुई और यह इस क्षेत्र में कैसे इकट्ठा हुए. अंतरराष्ट्रीय शोध कहते हैं कि ये नर कंकाल भारत के नहीं बल्कि ग्रीस और साउथ ईस्ट एशिया के लोगों के हैं. नर कंकाल अलग- अलग नस्लों के हैं जिनमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं.

स्थानीय किंवंदती है यहां आए राजा-रानी ने पहाड़ चढ़कर माता के दर्शन की ठानी. वो अपने नौकरों को भी साथ लाये थे. यह सब देखकर देवी को गुस्सा आया और जो बिजली बनकर उनपर गिरा और सबकी मृत्यु हो गई. इस झील को देखने के लिए सैलानी सितंबर से अक्टूबर के बीच जा सकते हैं. यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. ऋषिकेश से रूपकुंड के बीच कई बसें और प्राइवेट कैब चलती हैं.

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