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Happy Birthday Rishabh Pant : कभी लंगर में खाना खाकर गुरुद्वारे में सोते थे पंत, जानें कैसा रहा देहरादून से गाबा तक का सफर

भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत को आगामी टी20 विश्व कप के लिए टीम इंडिया में जगह मिली है.

भारतीय टीम के तेजतर्रार विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत (Rishabh Pant) आज अपना 25वां जन्मदिन मना रहे हैं. देहरादून में जन्में पंत ने जिस तरह से पहले दिल्ली और फिर राष्ट्रीय टीम तक का सफर तय किया वो किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है. कभी पैसे की कमी की वजह से लंगर में खाना खाने और गुरुद्वारे में सोने वाले पंत एक दिन ऑस्ट्रेलिया का अजेय दुर्ग माने जाने वाले गाबा के मैदान पर भारत की ऐतिहासिक जीत के नायक बनेंगे ये तो उन्होंने ने भी कभी नहीं सोचा होगा.

हालांकि गाबा पहुंचने से पहले हमें कहानी की शुरुआत में जाना होगा और पंत की कहानी की शुरुआत चार अक्टूबर साल 1997 में होती है. इस भारतीय क्रिकेटर का जन्म उत्तराखंड के हरिद्वार के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. रिषभ के माता पिता का नाम सरोज पंत और राजेंद्र पंत था, वहीं उनकी साक्षी नाम की एक बड़ी बहन भी है, जिनका उनके करियर को आगे बढ़ाने में काफी अहम योगदान रहा.

बचपन से ही क्रिकेट की दीवानगी पंत के दिल में घर कर गई थी और इसी वजह से पढ़ाई में उनका ध्यान कम ही रहता था. पंत देहरादून के इंडियन पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे लेकिन क्रिकेट में उनके शौक को देखते हुए परिवार ने उन्हें खेलों में आगे बढ़ने के लिए पूरा समर्थन दिया.

दिल्ली आने पर शुरू हुआ करियर

बहन साक्षी के कहने पर पंत दिल्ली आ गए और यहां के एक क्लब के टेलेंट हंट प्रोग्राम में सेलेक्ट हुए. चयन के बाद उन्हें सॉनेट क्रिकेट क्लब दिल्ली टीम के साथ अपने कौशल को और भी बेहतर बनाने के लिए हर हफ्ते 2 दिन का प्रशिक्षण दिया गया था.

हालांकि 11 साल की उम्र में वो हर हफ्ते अपने घर से दिल्ली की यात्रा करते थे. पैसे की कमी के कारण कभी-कभी वो गुरुद्वारे में लंगर में खाना खाते थे और फिर वहीं गुरुद्वारे में ही सो जाते थे.

राजस्थान अंडर-16 टीम 

लंबे समय तक इस कठिन दिनचर्या का पालन करने के बाद पंत अपने कोच के सुझाव पर राजस्थान गए, और वहां जाकर राजस्थान की अंडर -14 और अंडर -16 टीमों के लिए खेले. हालांकि, इस दौरान पंत को काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा क्योंकि वो राजस्थान की टीम में खेलने वाले दूसरे राज्य के एकमात्र खिलाड़ी थे. और फिर इसी भेदभाव के चलते वो राजस्थान छोड़कर वापस दिल्ली आ गए.

आईपीएल ने बदली करियर की दिशा

दिल्ली लौटने के बाद पंत के करियर ने एक बड़ा मोड़ लिया जब साल 2015 में में उन्हें राज्य की टीम में खेलने का मौका मिला. 2016 में पंत को एक और प्रतिभाशाली विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन की अगुवाई वाली अंडर-19 विश्व कप की टीम में चुना गया. पंत ने अंडर-19 विश्व कप के दौरान नेपाल के खिलाफ मैच में मात्र 18 गेंदो पर अर्धशतक जड़ अपनी आक्रामक बल्लेबाजी की पहली झलक दिखाई. उस मैच में पंत ने 24 गेंदो पर कुल 78 रन की पारी खेली थी. हालांकि भारतीय टीम उस साल अंडर-19 विश्व कप जीतने में नाकाम रही थी लेकिन पंत की बल्लेबाजी पर कई लोगों की नजर पड़ी.

टीम इंडिया में चयन

अंडर-19 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन के दम पर उन्हें आईपीएल 2016 में दिल्ली डेयरडेविल्स टीम ने 10 साल बेस प्राइस वाले पंत को 1.9 करोड़ की राशि में खरीदा था. दिल्ली की टीम में चुने जाने के बाद पंत ने अपने शानदार और विस्फोटक खेल से सभी को इतना प्रभावित किया कि उन्हें फरवरी 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए टी20 सीरीज में शामिल किया गया और तब से अब तक उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज- गाबा पर विजय

पंत के करियर का सबसे अहम पल 2020-21 के सीजन में आया जब भारतीय क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलियाई जमीन पर ना केवल एक ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीती बल्कि कंगारुओं के अजेय दुर्ग गाबा को ध्वस्त कर दिया.

विराट कोहली की गैरमौजूदगी में अजिंक्य रहाणे की अगुवाई में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेले गई चार मैचों की सीरीज में भारत ने 2-1 से जीत दर्ज की थी, जहां पंत का बेहद अहम योगदान रहा था. एडिलेड में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट में मात्र 36 रन पर ऑलआउट होने के बाद भारत ने मेलबर्न में हुए दूसरे टेस्ट में 8 विकेट से जीत हासिल कर शानदार वापसी.

हालांकि पंत को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका सिडनी में खेले गए तीसरे टेस्ट के दौरान मिला जहां 407 रन का पीछा करते हुए टीम इंडिया चौथी पारी में संघर्ष कर रही थी. तब पंत ने 118 गेंदो पर 97 रनों की शानदार पारी खेलकर मैच ड्रॉ कराया और भारत की सीरीज जीतने की उम्मीदों को बरकरार रखा.

सीरीज का आखिरी मैच गाबा के ब्रिसबेन मैदान पर खेला गया जहां ऑस्ट्रेलिया के नाम कभी ना हारने का रिकॉर्ड था लेकिन पंत ने कंगारूओं के इस घमंड को तोड़ा.

गाबा टेस्ट में भारत एक बार फिर चौथी पारी में 327 के बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए संघर्ष कर रहा था. हालांकि शुबमन गिल ने 91 रनों की धमाकेदार पारी खेलकर भारत को ठोस शुरुआत दिलाई थी लेकिन रोहित शर्मा (7) और अजिंक्य रहाणे (24) के विकेट सस्ते में खोने पर से भारत मुश्किल में आ गया था.

पंत ने पुजारा के साथ मिलकर टीम इंडिया को वो साझेदारी दिलाई, जिसकी टीम को जरूरत थी. इस दौरान पुजारा ने ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों की गेंद अपने शरीर पर खाकर अर्धशतकीय पारी खेली. पुजारा के 56 रन बनाकर पवेलियन लौटने के बाद टीम इंडिया की बल्लेबाजी बिखरने लगी.

एक छोर से लगातार विकेट गिरने के बावजूद पंत ने हार नहीं मानी. भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज ने 138 गेंदो पर 9 चौकों और एक छक्के की मदद से 89 रन की नाबाद पारी खेलकर भारत को तीन विकेट से जीत दिलाकर सीरीज पर कब्जा किया.

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