आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महानवमी भी कहा जाता है. इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है.
Shardiya Navratri Maha Navami 2022: शारदीय नवरात्रि का आज अंतिम दिन है, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महानवमी भी कहा जाता है. इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है. मां सिद्धिदात्री को भय, रोग और शोक का विनाश करने वाला माना जाता है. शास्त्रों में छोटी कन्याओं की मां शक्ति के रूप में पूजा किये जाने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. इसलिए हिन्दू परिवारों में महानवमी के दिन घरों में छोटी कन्याओं की पूजा और उनको भोजन कराये जाने की परपंरा है.
नवमी के दिन 9, 11 या फिर 21 कन्याओं के साथ ही एक लड़के को लांगूर के रूप में पूजा जाता है. कोविड19 के बाद से सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से लोग अपनी बच्चियों को घर से बाहर कम निकाल रहे हैं, जिसकी वजह से पूजन के लिए कन्या नहीं मिलती हैं, तो ऐसे में आप को जितनी भी कन्याएं मिल गई हैं, उन्हीं का पूजन करें और उन्हें भोजन कराएं. अगर अपने 11 या 21 या फिर जितनी कन्याओं के पूजन का संकल्प लिया है, उतनी कन्याएं नहीं मिलती हैं, तो आप को उतनी खाने की थालियां सजाएं और उनके हिस्से का खाना आप गऊ माता को खिला दें.
इस बार नवमी तिथि 3 अक्टूबर को दोपहर 4:37 बजे से शुरू होकर अगले दिन यानी 4 अक्टूबर को दोपहर 2:20 बजे तक रहेगी. नक्षत्रों के अनुसार इस दिन रवि व सुकर्मा योग का शुभ संयोग भी बन रहा है. पंचांग के अनुसार 4 अक्टूबर को रवि योग पूरे दिन बना रहेगा, जबकि सुकर्मा योग 4 अक्टूबर को सुबह 11:23 बजे का बाद शुरू होगा.
इस मंत्र के जाप से होंगी सभी मनोकामनाएं पूरी.
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
मां सिद्धिदात्री के मंत्र: सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
नवमी के दिन ही शुभ मुहूर्त में मां की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है, जिनकी स्थापना आश्विन मास की प्रतिपदा के दिन विधि विधान के साथ की गई थी. कई जगहों पर माता कि प्रतिमा का विसर्जन आठवें, नवमी या विजय दशमी के दिन भी किया जाता है.
