महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे नाम के साथ मशाल चुनाव चिह्न मिल गया है. जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट को केवल बालासाहेबंची शिवसेना नाम मिला है. चुनाव आयोग ने चुनाव चिह्न की नई लिस्ट शिंदे गुट से मांगी है.
चुनाव आयोग ने सोमवार को उद्धव ठाकरे गुट को ‘शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम के साथ ‘मशाल’ चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया है. जबकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट को केवल पार्टी का नाम ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ दिया है. चुनाव आयोग ने शिंदे गुट से चुनाव चिह्न की नई भी लिस्ट मांगी है. इससे पहले त्रिशूल, उगता हुआ सूरज और गदा चुनाव चिह्न शिंदे गुट ने आयोग को सबमिट किया था. इलेक्शन कमीशन (EC) द्वारा ठाकरे गुट को पार्टी का नाम आवंटित किए जाने के बाद उनके नेताओं में काफी खुशी है. इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे गुट के एक नेता भास्कर जाधव ने कहा है कि हम बहुत खुश हैं, इसे बड़ी जीत मानते हैं.
लंबे समय से चल रहा था विवाद
बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच शिवसेना और उसकी धनुष-बाड़ चुनाव चिह्न पर दावेदारी को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था. इसी शनिवार को पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न को फ्रीज करते हुए इलेक्शन कमीशन ने दोनों गुटों से एक अंतरिम आदेश जारी कर 10 सितंबर तक 3-3 नाम और चुनाव चिह्न की लिस्ट मंगाई थी. दोनों गुटों की तरफ से मिले सुझावों के बाद सोमवार को EC ने दोनों में से ठाकरे गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दोनों आवंटिंत कर दिया जबकि शिंदे गुट को केवल पार्टी का नाम मिला.
उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ के उपयोग पर रोक लगाए जाने के चुनाव आयोग के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया. ठाकरे द्वारा दायर याचिका में आयोग के 8 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी गई है. इसमें दलील दी गई है कि यह आदेश नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पूर्ण उल्लंघन करते हुए और पक्षों को सुने बगैर और उन्हें साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिए बिना जारी किया गया. आयोग ने 8 अक्टूबर के अपने अंतरिम आदेश में शिवसेना के उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत खेमों के पार्टी का नाम और इसके चुनाव चिह्न का उपयोग करने पर रोक लगा दी थी. शिंदे खेमें द्वारा किए गए दावे के बाद अंतरिम आदेश जारी करते हुए चुनाव आयोग ने उनसे सोमवार तक अपनी पसंद के 3-3 वैकल्पिक नाम (पार्टी के) और चिह्न सुझाने को कहा था.
3 नवंबर को है अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव
विधानसभा की अंधेरी ईस्ट सीट पर होने जा रहे उपचुनाव के नजदीक आने पर ‘धनुष-बाण’ चिह्न आवंटित करने के शिंदे खेमे के अनुरोध के बाद यह अंतरिम आदेश आया था. ठाकरे की याचिका में चुनाव आयोग और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पक्षकार बनाया गया है. याचिका के जरिए आयोग के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. साथ ही, ठाकरे द्वारा प्रस्तावित चिह्नों में से एक चिह्न आवंटित करने पर विचार करने का आग्रह किया गया है. याचिका में कहा गया है कि विधानसभा की अंधेरी ईस्ट सीट पर उपचुनाव के लिए जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 14 अक्टूबर और मतदान की तारीख 3 नवंबर 2022 है, ऐसे में यदि उक्त आदेश पर रोक नहीं लगाया गया तो यह याचिकाकर्ता (ठाकरे) और उनकी पार्टी के लिए गंभीर पूर्वाग्रह होगा.
अन्नाद्रमुक के ‘दो पत्ती’ चुनाव चिह्न तथा जनता दल (यूनाइटेड) और समाजवादी पार्टी के बीच इसी तरह के तकरार का उदाहरण देते हुए याचिका में कहा गया है कि इन सभी मामलों में आयोग ने पक्षों को सुनने के बाद ही फैसला सुनाया था. याचिका में कहा गया है कि इस मामले में निर्वाचन आयोग ने अनुचित जल्दबाजी दिखाई और उद्धव ठाकरे नीत पार्टी शिवसेना के चिह्न ‘धनुष-बाण’ के उपयोग पर रोक लगाने का आदेश जारी किया. इसमें कहा गया है कि शिवसेना 1966 में गठन होने के बाद से ही इस चिह्न का उपयोग करती आ रही है. अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में ठाकरे खेमे ने अपने लिए 3 चिह्न सुझाए. जिनमें त्रिशूल, उगता सूरज और मशाल शामिल था. चुनाव आयोग ने धार्मिक अर्थों का हवाला देते हुए शिंदे गुट के लिए त्रिशूल और गदा को चुनाव चिन्ह के रूप में आवंटित करने के विचार को खारिज कर दिया.