All for Joomla All for Webmasters
जरूरी खबर

देश में सबसे ज्यादा पेंशन देने वाले राज्यों में शामिल हो जाएगा पंजाब, कुल GDP में 2.32% हिस्सा पेंशन का

rupee

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब सरकार सैद्धांतिक रूप से पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का निर्णय ले चुकी है। हालांकि, इसका खजाने पर कितना भार पड़ेगा, इसका पूरी तरह से आकलन अभी नहीं किया गया है। दरअसल, मौजूदा सरकार पर पुरानी पेंशन योजना लागू करने से कोई बोझ नहीं पड़ने वाला है, इसलिए यह आकलन नहीं किया गया है।

ये भी पढ़ें– Lok Adalat: क्रेडिट कार्ड में छूट से लेकर भैंस पर कर्जे तक, हर छोटी से छोटी समस्या का लोक अदालत में निस्तारण

वहीं, स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआइ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब उन राज्यों में है, जो अपने पेंशनर्स को ज्यादा पेंशन दे रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में पेंशन का हिस्सा राज्य के कुल सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) का 2.32 प्रतिशत था। यदि पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी जाती है, तो इसके और बढ़ने की संभावना है। यानी पंजाब देश में सबसे ज्यादा पेंशन देने वाले राज्यों में शामिल हो जाएगा।

ये भी पढ़ें–  LIC Jeevan Shiromani: ऐसी स्कीम जहां 4 साल के निवेश में बना सकते हैं 1 करोड़ तक का मोटा फंड- जानें डीटेल्स

जिन अन्य राज्यों ने पुरानी पेंशन लागू करने की घोषणा की है, उसमें छत्तीसगढ़ के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 1.81 प्रतिशत, झारखंड का 2.23 प्रतिशत और राजस्थान का 2.44 प्रतिशत हिस्सा पेंशन पर खर्च हो रहा है।इसी वर्ष पंजाब के खजाने पर लगभग 18 हजार करोड़ रुपये का नया बोझ पड़ा है, जिसमें से राज्य सरकार अपने सभी संसाधनों से मात्र दो हजार करोड़ रुपये ही अतिरिक्त जुटाती दिख रही है।

ये भी पढ़ें– Bank Customer Alert: बिना ATM Card ऐसे निकालें पैसे, UPI के साथ इन टिप्स को करें फॉलो

राज्य पर सबसे बड़ा बोझ केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी मुआवजा राशि बंद करने का पड़ा है। इस वर्ष 16 हजार करोड़ रुपये सरकार को मिलने थे, लेकिन मात्र एक तिमाही की ही राशि मिलने से खजाने पर 12 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है। यही नहीं, पिछले वर्ष ही सरकार बिजली सब्सिडी पर 13443 करोड़ रुपये के मुकाबले इस साल 15845 करोड़ रुपये का अनुमान दिखाया था, लेकिन बजट के बाद ही तीन सौ रुपये यूनिट बिजली निशुल्क करने से अब यह अनुमान ही 19 हजार करोड़ रुपये का आंकड़ा छू गया है।

ये भी पढ़ें–  Gold Price Today: सोने-चांदी की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी, साल के आखिर तक इस नए लेवल पर पहुंचेगा सोना

राज्य के एक पूर्व प्रमुख वित्त सचिव ने बजट के अनुमान व अभी तक के प्राप्त राजस्व को देखते हुए आकलन करते हुए कहा है कि सरकार को पिछले साल की अपेक्षा जीएसटी 4000 करोड़ रुपये अतिरिक्त आने की संभावना दिखाई गई है, जबकि उनका अनुमान है कि इसमें एक हजार करोड़ की कमी आएगी।

ये भी पढ़ें–  Loan Settlement से अगर बिगड़ गया है आपका क्रेडिट स्‍कोर तो इसे कैसे कर सकते हैं ठीक? यहां जानिए

इसी तरह आबकारी से 9647 करोड़ रुपये अतिरिक्त आने का अनुमान दिखाया है, लेकिन यह 8200 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं आएगा। इन हालात में सरकार ने पुरानी पेंशन को लागू करने का जो एलान किया है, उससे आने वाले दिनों में खजाने पर कितना बोझ पड़ेगा इसका सही आंकड़ा अभी नहीं निकल पाया है।

कर्मचारी क्यों चाहते हैं पुरानी पेंशन

2004 के बाद भर्ती होने वाले सभी सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन इसलिए चाहते हैं, क्योंकि यह उनके सेवाकाल के अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत और डीए पेंशन के रूप में मिलना सुनिश्चित है। इसके लिए कर्मचारी को अपनी ओर से कोई योगदान भी नहीं देना पड़ता। यह साल दर साल डीए बढ़ने के साथ और वेतन आयोग की रिपोर्ट के साथ बढ़ती भी रहती है। उनकी मौत के बाद फैमिली पेंशन भी मिलती है।

नई पेंशन योजना का विरोध क्यों

नई पेंशन योजना जो 2004 में बनाई गई थी, उसमें कर्मचारियों को अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत और डीए देना पड़ता था और इतना ही योगदान सरकार देती थी। 2019 में सरकार का योगदान 14 प्रतिशत कर दिया गया। सरकार ने इस पैसे को पेंशन रेगुलेटरी फंड के जरिये बाजार में निवेश किया हुआ है, लेकिन इससे मिलने वाली पेंशन बहुत ही कम रहती है, जिस कारण आज के दौर में गुजारा मुश्किल है। नई पेंशन योजना लागू करने के बाद अब यह तय नहीं हो पा रहा है कि कर्मचारियों की ओर से जो फंड कटवाया जा रहा है, वह अब आगे से कटेगा कि नहीं और जो कट चुका है, उसका क्या होगा।

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top