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G-20 में ‘महाशक्ति’ भारत की झलक, रूस पर फंसे थे 20 महाबली, फिर मोदी की यूं कायल हुई दुनिया

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इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर जुटे दुनिया के 20 सबसे ताकतवर देशों के नेताओं के बीच भारत और पीएम मोदी के बढ़ते प्रभाव की झलक साफ देखने को मिलेगी। जी-20 के नेता एक सुर से जोर देकर कहेंगे कि ‘आज का यह दौर निश्चित रूप से युद्ध का नहीं है’ और हम परमाणु हथियार के इस्‍तेमाल की धमकी की निंदा करते हैं। जी-20 के नेता ठीक वही बयान दोहराने जा रहे हैं जो पीएम मोदी ने पिछले दिनों अपने दोस्‍त रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात के दौरान कहा था। दरअसल, जी-20 देशों ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर आम सहमति से एक बयान को मंजूरी दी है जिसमें रूस को संदेश देने के लिए पीएम मोदी के बहुचर्चित बयान ‘आज का दौर युद्ध का नहीं है’ को आधार बनाया गया है। यही नहीं जी-20 के इस बयान को आम सहमति दिलाने में भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है।

ब्रिट‍िश अखबार फाइनेंशियल टाइम्‍स ने जी-20 की ओर से जारी किए जाने वाले प्रस्‍ताव की विज्ञप्ति के हवाले से बताया कि ज्‍यादातर सदस्‍य देशों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा की है। साथ ही जोर देकर कहा है कि इससे दुनियाभर में लोगों को बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था के लिए भी संकट पैदा हो गया है। जी-20 के इस मसौदे में रूस के परमाणु हमले को लेकर दी जाने वाली धमकी पर दिया गया बयान पश्चिमी देशों के अधिकारियों के अनुमान से ज्‍यादा तीखा है। अखबार ने कहा कि यह दर्शाता है कि गैर पश्चिमी देश भी पुतिन के यूक्रेन पर हमले से व्‍याकुल होते जा रहे हैं।

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‘आज का दौर निश्चित रूप से युद्ध का नहीं होना चाहिए’

पुतिन के करीबी मित्र बने चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने भी कहा कि जी-20 देशों को पूरी ताकत के साथ खाद्यान और ऊर्जा के मुद्दे को राजनीतिक रूप देने का या हथियार के रूप में इस्‍तेमाल करने का विरोध करना चाहिए। यह शी जिनपिंग की ओर से यूक्रेन को लेकर दिए गए सबसे तीखे बयानों में से एक था। चीनी राष्‍ट्रपति ने कहा कि खाद्यान और ऊर्जा बाजार में संकट सप्‍लाइ चेन में बाधा की वजह से है। रूस के राष्‍ट्रपति पुतिन इस बैठक में नहीं आए हैं और उन्‍होंने अपनी जगह पर सगेई लावरोव को अपनी जगह भेजा है।

जी-20 की ओर से जारी किए जाने वाले मसौदा बयान में कहा गया है, ‘परमाणु बम का इस्‍तेमाल या उसकी धमकी देना, स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है। विवादों का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान जरूरी है। आज का दौर निश्चित रूप से युद्ध का नहीं होना चाहिए।’ इस मसौदा बयान पर कई दिनों तक पश्चिमी देशों और रूस समर्थक देशों के बीच मतभेद चला। बाद में सोमवार रात को इस पर सहमति बनी। अब इसे बुधवार को जी-20 शिखर सम्‍मेलन के दूसरे दिन जारी किया जाएगा। पश्चिमी देशों के एक प्रतिनिधि ने कहा कि रूस पर यह मसौदा बयान उनके लिए जीत की तरह से है।

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भारत ने जी-20 के बयान पर सहमति बनाने में निभाई बड़ी भूमिका

ब्रिटिश अखबार ने तीन अधिकारियों के हवाले से खुलासा किया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने जी-20 के विभिन्‍न देशों के बीच मसौदा बयान की भाषा को लेकर आम सहमति बनाने में बेहद अहम भूमिका निभाई जिसमें रूसी हमले की निंदा की गई थी। यही नहीं इस मसौदा बयान की भाषा में ठीक वही शब्‍द इस्‍तेमाल किए गए हैं जो पीएम मोदी ने रूसी राष्‍ट्रपति से कहे थे। यह शब्‍द थे, ‘अब यह समय युद्ध का नहीं है।’ इस बीच पीएम मोदी ने आज जी-20 में दिए अपने भाषण में फिर कहा कि हमें यूक्रेन में शांति के लिए रास्‍ता तलाश करना ही होगा। अमेरिका के रैंड कार्पोरेशन के विश्‍लेषक डेरेक जे ग्रॉसमैन का मानना है कि जी-20 देशों का पीएम मोदी के बयान पर सहमति जताना और भारतीय दल का सुलह कायम कराना यह बताता है कि वैश्विक स्‍तर पर महाशक्ति भारत का उदय हो रहा है।

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