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CNG-PNG होंगी सस्‍ती! नेचुरल गैस की अधिकतम कीमत तय कर सकती है सरकार, कैसे मिलेगा फायदा?

भारत में गैस-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और अंतिम उपभोक्ता को उचित मूल्य पर गैस की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए समिति को सुझाव देने का काम सौंपा गया था. अगले कुछ दिनों में समिति अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है, जिसमें नेचुरल गैस पर प्राइस कैप लगाने का सुझाव हो सकता है.

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नई दिल्‍ली. आने वाले दिनों में सीनएनजी और पीएनजी की कीमतों में नरमी आने का अनुमान है. गैस मूल्य समीक्षा समिति सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के ओल्ड फील्ड से निकलने वाली प्राकृतिक गैस के लिए मूल्य सीमा तय करने की सिफारिश कर सकती है. हालांकि, मुश्किल क्षेत्रों से निकलने वाली गैस के लिए मूल्य निर्धारण फॉर्मूले में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा.

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस पारेख की अध्यक्षता वाली समिति अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रही है. अधिकारियों का कहना है कि समिति अगले कुछ दिनों में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है. किरीट पारेख समिति को भारत में गैस-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बाजार-उन्मुख, पारदर्शी और भरोसेमंद मूल्य निर्धारण व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सुझाव देने का दायित्‍व सौंपा गया था. समिति को यह भी तय करना था कि अंतिम उपभोक्ता को उचित मूल्य पर गैस मिले.

ओल्‍ड फील्‍ड के लिए नई व्‍यवस्‍था
अधिकारियों ने कहा कि समिति दो अलग-अलग मूल्य निर्धारण व्यवस्था का सुझाव दे सकती है. ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) और ऑयल इंडिया लि. (OIL) के ओल्ड फील्ड से निकलने वाली गैस के लिए मूल्य सीमा तय करने की सिफारिश की जा सकती है. इन क्षेत्रों में लंबे समय से लागत वसूली जा चुकी है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि कीमतें उत्पादन लागत से नीचे नहीं जाएंगी, जैसा कि पिछले साल हुआ था. साथ ही इससे मौजूदा दरों की तरह रिकॉर्ड ऊंचाई तक भी नहीं बढ़ेंगी.

मुश्किल क्षेत्रों से निकलने वाली गैस के लिए अलग फॉर्मूला
अधिकारियों ने कहा कि इसके अलावा समिति मुश्किल क्षेत्रों से गैस के लिए एक अलग फॉर्मूले का सुझाव दे सकती है. कठिन क्षेत्रों में गहरे समुद्र के क्षेत्र या उच्च दबाव, उच्च तापमान वाले क्षेत्र शामिल हैं. इनके लिए उच्च दरों पर भुगतान के मौजूदा फॉर्मूले को बनाए रखने की संभावना है. उन्होंने कहा कि इस तरह खोज और उत्पादन (ईएंडपी) में निवेश की चिंताओं को भी दूर किया जा सकता है.

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उन्होंने कहा कि बाजार आधारित मूल्य निर्धारण से नए निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और वैश्विक कंपनियां यहां आएंगी. मूल्य निर्धारण की यह व्यवस्था रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के केजी-डी6 क्षेत्र और ब्रिटेन की इसकी भागीदार बीपी पीएलसी के मुश्किल क्षेत्रों पर लागू होती है. मुश्किल क्षेत्रों के लिए दरें एक अक्टूबर से 12.46 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (प्रति इकाई) हैं.

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