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Nature of Jharkhand: त्वचा रोग से छुटकारा चाहिए, तो आईए तातलोई, जलकुंड से सालों भर निकलता है गर्म पानी

Jharkhand

झारखंड की उपराजधानी दुमका समेत पूरा संताल परगना प्राकृतिक सौंदर्य से सुसज्जित है। नदी, पहाड़ झरना और जंगल का इलाका पर्यटकों और सैलानियों के आकर्षक का केन्द्र रहा है। इस क्षेत्र में कई ऐसे गर्म जल कुंड हैं, जहां से आज भी गर्म पानी की धार निकलती है। इन्हीं में से एक उपराजधानी दुमका से करीब 20 किलोमीटर दूर जामा प्रखंड क्षेत्र में बारापलासी के निकट स्थित तातलोई गर्म जल कुंड है। छोटी -छोटी पहाड़ियो और प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच भूरभूरी नदी के किनारे अवस्थित तातलोई गर्म जलकुंड अब भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस आकर्षक पर्यटक स्थल का भ्रमण करने झारखंड के विभिन्न जिलों से नहीं, बल्कि बिहार और पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते है। जाड़े के मौसम में यहां आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ जाती हैं।

मकर संक्रति में तीन दिवसीय मेले का आयोजन

तातलोई जलकुंड में स्नान देने करने के लिए हर दिन लोगों की भीड़ लगी रहती है। वहीं नव वर्ष के अवसर पर पिकनिक मनाने भी लोग आते हैं। जबकि मकर संक्रांति के मौके पर तातलोई में आयोजित तीन दिवसीय मेले में भी काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

गर्म जलकुंड में गंधक और अन्य औषधीय तत्वों का मिश्रण

लोगों की मान्यता है कि इस इस गर्म जलकुंड के पानी में गंधक और अन्य औषधीय तत्वों का मिश्रण है। इस कारण इसमें स्नान करने से चर्म रोग से संबंधित सभी बीमारियां ठीक हो जाती है। लोग की माने तो तातलोई गर्म जल कुंड के पानी में अगर कपड़े की पोटली में चावल या

अंडा कुछ देर रख दिया जाय तो वह भी पक कर खाने योग्य बन जाता है।

गर्म जल कुंड तातलोई का धार्मिक महत्व

गर्म जल कुंड तातलोई का धार्मिक महत्व भी है। मकर संक्रांति के मौके पर यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है जो तीन दिनों तक चलता है। इस अवसर पर मांस मदिरा से दूर रहनेवाले संताल समाज के सफाहोड़ समुदाय के लोग इस गर्म जलकुंड में स्नान कर अपने आराध्य देव की वार्षिक पूजा अर्चना करते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए रेल मार्ग और सड़क का भी निर्माण किया गया है।

संताल परगना का राजगीर, रोजगार की कई संभावनाएं

दुमका के लोग गर्म जलकुंड तातलोई को संताल परगना का राजगीर भी मानते हैं। इस स्थल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाये तो यहां के लोगों को रोजगार का नया अवसर भी मिल सकता है।

संताल गजेटियर में कई गर्म जलकुंड का उल्लेख

संताल गजेटियर में दुमका और पाकुड़ जिले में कई गर्म जलकुंड-झरने का उल्लेख हैं। इस हाट स्प्रिंग्स को संताली भाषा में लालुआ दाहा कहा जाता है। गजेटियर के मुताबिक दुमका जिले में एक सौ साल पहले ही छह गर्म झरनों की खोज की गई है। इसमें गोपीकांदर के पास झरिया पानी, दुमका- भागलपुर मुख्य पथ पर बारापलासी गांव के पास भुरभूरी नदी के तट पर ततलोई के अलावा कई अन्य जलकुंड शामिल है। इनमें दुमका- कुंडहित मसलिया प्रखंड क्षेत्र में केंदघाटा के पास नुनबिल, मोर नदी के बाएं किनारे दुमका सदर प्रखंड के कुमराबाद गांव से करीब 4 किलोमीटर उत्तर में तपत पानी, मोर नदी के विपरीत तट पर बाधमारा के समीप सुसुम्पानी, तपत पानी के दक्षिण रानीबहल से दो किलोमीटर की दूरी पर इसी नदी के दाहिने किनारे पर भूमका नामक गर्म जलकुंड का उल्लेख है। गजेटियर के अनुसार 1890 में जर्नल ऑफ द एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल में प्रकाशित कर्नल वेडेल के एक लेख में संताल परगना के दुमका समेत विभिन्न जिलों में इन गर्म जल झरनों का उल्लेख किया गया है।

कई जल झरना अब विलुप्त हो गए

बताते हैं कि जरमुंडी प्रखंड में नोनीहाट के समीप भी कभी पातालगंगा नामक गर्म जल झरना अस्तित्व में था। हालांकि बाद के वर्षों में विभिन्न कारणों से पातालगंगा समेत कई अन्य झरना विलुप्त हो गये। फिर भी दुमका जिले में तातलोई और नुनबील गर्म जल कुंड अभी भी अपनी पहचान बरकरार रखा है।यहां की मनमोहक प्राकृतिक छटा अभी भी पर्यटकों और सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है।

अंग्रेज लेखक ने दी है कई जानकारियां

अंग्रेज लेखक कर्नल वेडेल के लेख को उद्धृत करते हुए संताल परगना गजेटियर में बताया गया है इस क्षेत्र के आस-पड़ोस के लोगों में विशेष रूप से खुजली, अल्सर और अन्य त्वचा संक्रमण से मुक्ति के लिए गर्म जल झरना के उपयोग का काफी प्रचलन हैं।

आदिवासी समाज में आराध्य देव की पूजा अर्चना की परंपरा

वहीं इलाज की प्रक्रिया पूजा से शुरू होती है। यहां के लोग गर्म झरनों को प्रकृति देवता की अनुपम भेंट मानते हैं। इस कारण आदिवासी समेत अन्य समुदाय के लोग सभी गर्म झरनों के आसपास अपने आराध्य देव की पूजा अर्चना की परम्परा रही है। आमतौर पर स्थानीय लोग झरनों पर पूजे जाने वाले देवता को माता या माई, मां-काली और भगवान शिव के रूप में पूजा अर्चना करते हैं। विशेष रूप से खुजली और अन्य त्वचा रोगों से पीड़ित लोग अपने आराध्य देव से स्वस्थ और निरोग रहने की कामना करते हैं। मन्नत पूरी होने पर गर्म जल कुंड में स्नान कर पूजा अर्चना के साथ बलि प्रदान करते हैं। कहीं कहीं तो गर्म जल कुंड के पास साल के पेड़ या अवस्थित झाड़ी में अपनी मनोकामना को कपड़े के टुकड़े भी बांध देते हैं।

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गर्म जलकुंड के निकट नदी की शीतल धारा भी बहती है

प्राकृतिक सौंदर्य से सुसज्जित तातलोई गर्म जल झरना के समीप भूरभूरी नदी की शीतल धारा भी बहती है। गरमी के दिनों में आमलोग इस नदी की शीत धारा का भी भरपूर आनंद लेते हैं।

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1978 तक भागलपुर प्रमंडल का हिस्सा रहा

दुमका 1978 में भागलपुर प्रमंडल का हिस्सा था। उस समय तत्कालीन आयुक्त अरुण पाठक जब इस क्षेत्र के दौरे पर आये तो प्रकृति प्रदत्त कई जलकुंड स्थलों का विकास किया।

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