ईओएम में कमीशन और अन्य खर्च जैसे टेक्नोलॉजी खर्च, कर्मचारी लागत, प्रशासनिक खर्च आदि शामिल हैं. अगस्त के मसौदे में भी ईओएम की सीमा का उल्लंघन नहीं करने वाली कंपनियों को कमीशन पेआउट तय करने की छूट दी गई थी.
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नई दिल्ली. भारत में इंश्योरेंस प्रोडक्ट और कंपनियों के कामकाज पर नजर रखने वाली नियामक संस्था इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने एजेंट कमीशन में कटौती के अपने प्रस्ताव को संशोधित किया है. 24 नवंबर को एक नए प्रस्ताव में आईआरडीएआईए ने इंश्योरेंस कंपनियों को उनके बोर्ड द्वारा अप्रूव पॉलिसी के अनुसार कमीशन का पेमेंट करने की अनुमति देने की योजना बनाई है. हालांकि, एक राइडर है- बीमाकर्ताओं के पास यह लचीलापन तब तक होता है जब तक भुगतान किया गया एक्सपेसेंस ऑफ मैनेजमेंट (EoM) के ओवरऑल खर्च की सीमा का उल्लंघन नहीं करता है जिसका उन्हें पालन करना होता है.
लेखिका और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मार्केट्स (NISM) में सहायक प्रोफेसर मोनिका हालान ने कहा कि यह इंश्योरेंस इंडस्ट्री में एक बड़ा कदम है क्योंकि यह सभी लागतों को एक मद में रखता है और इंडस्ट्री को अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार आवंटन करने की स्वतंत्रता देता है.
यह रेगुलेटरी लिमिट से अधिक इंसेंटिव और रिवॉर्ड देने की संदिग्ध प्रथा को भी समाप्त कर सकता है. वह आगे कहती हैं कि यह पहला गंभीर कदम है जो आईआरडीएआईए ने अपने इतिहास में एक रेगुलेटर के रूप में उन प्रोडक्ट्स में कमीशन को कम करने के लिए उठाया है जो आज हास्यास्पद रूप से उच्च स्तर पर हैं.
1 अप्रैल 2023 से लागू हो सकते हैं नए नियम
ईओएम में कमीशन और अन्य खर्च जैसे टेक्नोलॉजी खर्च, कर्मचारी लागत, प्रशासनिक खर्च आदि शामिल हैं. अगस्त के मसौदे में भी ईओएम की सीमा का उल्लंघन नहीं करने वाली कंपनियों को कमीशन पेआउट तय करने की छूट दी गई थी. एक बार अंतिम रूप दिए जाने के बाद ये नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू हो जाएंगे.
पॉलिसीधारकों को नुकसान
विशेष रूप से लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों में भारी कमीशन दरों ने अक्सर पॉलिसीधारकों के हितों के खिलाफ काम किया है. फिलहाल इंश्योरेस कंपनियों को अपने कमीशन भुगतान को तब तक कम करने की आवश्यकता नहीं है जब तक वे ईओएम सीमा के भीतर हैं. अन्य वित्तीय क्षेत्र जैसे म्युचुअल फंड में जहां एक्सपेंस रेशियो नीचे की ओर चल रहा है.
एमके ग्लोबल के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट अविनाश सिंह ने प्रस्तावित कमीशन स्ट्रक्चर पर अपनी रिपोर्ट में कहा, ”रेगुलेटर और इंडस्ट्री दोनों को शुतुरमुर्ग सिंड्रोम को दूर करने और इस तथ्य के साथ सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है कि ओवरऑल एक्सपेसेंस रेशियो इंडस्ट्री के आकार में वृद्धि के साथ घटेगा. इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए इनवर्ड-लुकिंग रहना समझदारी नहीं है.”
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सीधे इंश्योरेंस कंपनियों से खरीदारी करने की सलाह दे रहे हैं एक्सपर्ट
इंडस्ट्री का आकार बढ़ने से लागत में काफी कमी आई है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि हालांकि पॉलिसीधारक अब एजेंटों को मोटा कमीशन देने के बारे में कुछ नहीं कर सकते, लेकिन वे प्रीमियम बचाने के लिए सीधे इंश्योरेंस कंपनियों से खरीदारी कर सकते हैं. फर्स्ट ग्लोबल इंश्योरेंस ब्रोकर्स के रीजनल डायरेक्टर हरि राधाकृष्णन कहते हैं, “नया ड्राफ्ट कहता है कि लाइफ के साथ-साथ नॉन-लाइफ पॉलिसीधारक सीधे इंश्योरेंस कंपनियों के पास जा सकते हैं और प्रीमियम पर छूट प्राप्त कर सकते हैं.”
