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Anang Trayodashi 2022: कब है अनंग त्रयोदशी व्रत? जानें मुहूर्त और प्रेमी युगल के लिए क्यों है महत्वपूर्ण

Anang Trayodashi 2022: अनंग त्रयोदशी व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के अलावा कामदेव और रति की भी पूजा की जाती है. जानते हैं अनंग त्रयोदशी व्रत की तिथि और महत्व के बारे में.

Anang Trayodashi 2022: अनंग त्रयोदशी व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के अलावा कामदेव और रति की भी पूजा की जाती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को अनंग त्रयोदशी व्रत रखा जाता है. इस दिन प्रदोष व्रत भी होता है. इस साल अनंग त्रयोदशी के साथ सोम प्रदोष व्रत भी है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ कृष्ण कृमार भार्गव से जानते हैं अनंग त्रयोदशी व्रत की तिथि और महत्व के बारे में.

अनंग त्रयोदशी व्रत 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, 05 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि लग रही है और यह तिथि अगले दिन 06 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. सूर्योदय के समय त्रयोदशी तिथि 05 दिसंबर को प्राप्मत हो रही है, इस आधार पर अनंग त्रयोदशी व्रत 05 दिसंबर दिन सोमवार को है.

अनंग त्रयोदशी व्रत मुहूर्त 2022
अनंग त्रयोदशी व्रत के दिन शिव पूजा आप सुबह 06 बजकर 59 मिनट से सुबह 08 बजकर 17 मिनट के मध्य कर सकते हैं. इस समय अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त है. इसके बाद शुभ-उत्तम मुहूर्त सुबह 09 बजकर 35 मिनट से सुबह 10 बजकर 54 मिनट तक है.

इस दिन सोम प्रदोष व्रत भी है. ऐसे में शिव पूजा का मुहूर्त शाम 05 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 32 मिनट तक है.

अनंग त्रयोदशी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अनंग त्रयोदशी व्रत के दिन शिव और पार्वती के साथ कामदेव और रति की पूजा करने से प्रेम संबंध मजबूत होता है. इस वजह से अनंग त्रयोदशी व्रत के दिन प्रेमी युगल और विवाहित दंपत्तियों को व्रत और पूजा पाठ करना चाहिए.

अनंग त्रयोदशी व्रत की शुरूआत कैसे हुई?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, तारकासुर के आतंक से तीनों लोकों में हाहाकार मचा हुआ था. उसे वरदान प्राप्त था कि वह शिव पुत्र के हाथों ही मरेगा. उस समय भगवान शिव ध्यान में लीन थे. उनके ध्यान को भंग करने का साहस कामदेव ने दिखाया. देवताओं की मदद के लिए उन्होंने भोलेनाथ का ध्यान भंग कर दिया.

शिव जी ने अपने क्रोध के कारण कामदेव को भस्म कर दिया. कामदेव को जीवनदान देने के लिए रति की प्रार्थना पर भगवान शिव ने कहा कि ये द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र के रुप में जन्म लेंगे, तब तक ये बिना अंगों के रहेंगे. तब से कामदेव अनंग कहलाए. भोलेनाथ ने उनको वरदान दिया की, जो भी अनंग त्रयोदशी के दिन कामदेव और रति की पूजा करेगा, उसका प्रेम संबंध मजबूत होगा.

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