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जुर्म

मैंने सबसे पहले हाथ काटे; आफताब ने नार्को में उगल दिया श्रद्धा की हत्या का राज

सूत्रों के मुताबिक, आफताब ने नार्को टेस्ट में बताया कि उसने श्रद्धा की हत्या के बाद सबसे पहले उसके हाथ के टुकड़े किए थे. इसके लिए उसने चाइनीज चॉपर का इस्तेमाल किया था और इसी हथियार से उसने श्रद्धा के शरीर को बोटी-बोटी काटकर 35 टुकड़े किए थे. सूत्रों ने यह भी कहा कि श्रद्धा वालकर की हत्या के कई महीने बाद तक अफताब ने उसका मोबाइल फोन अपने पास ही रखा था. मुंबई पुलिस ने जब उसे पूछताछ के लिए बुलाया था, उस वक्त भी श्रद्धा का मोबाइल फोन उसके पास था. बाद में उसने श्रद्धा के मोबाइल फोन को मुंबई के समंदर में फेंक दिया था.

दो घंटे चला नार्को जांच के बाद पूछताछ का सत्र

दरअसल, श्रद्धा वालकर हत्याकांड के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला की ‘नार्को’ जांच के बाद पूछताछ का सत्र शुक्रवार को दो घंटे के अंदर पूरा हो गया. फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की चार सदस्यीय टीम और जांच अधिकारी पूनावाला से ‘नार्को’ जांच के बाद पूछताछ के लिए नई दिल्ली की तिहाड़ जेल पहुंचे थे. सेंट्रल जेल नंबर चार में सुबह 10 बजे से पूछताछ शुरू होने और दोपहर तीन बजे तक पूरी होने की उम्मीद थी, लेकिन इसमें देरी हुई. टीम करीब साढ़े 11 बजे जेल पहुंची और करीब 1 घंटे 40 मिनट तक सत्र चला.

आफताब का नार्को टेस्ट सफल

अधिकारियों ने कहा कि उसे ले जाने से संबंधित जोखिमों को देखते हुए एक अदालत के आदेश के अनुसार यह व्यवस्था की गई थी. पूनावाला की ‘नार्को’ विश्लेषण जांच करीब दो घंटे तक रोहिणी के अस्पताल में हुई थी, जो सफल रही. एफएसएल के सूत्रों ने इससे पहले बताया कि ‘नार्को’ जांच और पॉलीग्राफी जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए जवाब का विश्लेषण किया जाएगा और उसे भी उसके जवाबों की जानकारी दी जाएगी.

12 नवंबर को गिरफ्तार हुआ था आफताब

गौरतबल है कि 28 वर्षीय पूनावाला पर ‘लिव इन रिलेशन’ में रह रही श्रद्धा वालकर की हत्या करने, उसके शव के 35 टुकड़े कर उन्हें तीन सप्ताह तक दक्षिणी दिल्ली के महरौली स्थित आवास में 300 लीटर के फ्रिज में रखने एवं शव के हिस्सों को कई दिनों में शहर के विभिन्न हिस्सों में ठिकाने लगाने का आरोप है. आफताब पूनावाला को 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया और पांच दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया. इस अवधि को 17 नवंबर को और पांच दिन के लिए बढ़़ाया गया. अदालत ने 26 नवंबर को उसे 13 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

क्या है नार्को टेस्ट

‘नार्को’ जांच में सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम एमिटल जैसी दवा दी जाती है, जो व्यक्ति को एनेस्थीसिया के असर के विभिन्न चरणों तक लेकर जाती है. सम्मोहन (हिप्नोटिक) चरण में व्यक्ति पूरी तरह से होश हवास में नहीं रहता और उसके ऐसी जानकारियां देने की अधिक संभावना रहती है, जो वह आमतौर पर होश में रहते हुए नहीं बताता है. जांच एजेंसियां इस जांच का इस्तेमाल तब करती हैं, जब अन्य सबूतों से मामले की साफ तस्वीर नहीं मिल पाती है.

दिल्ली पुलिस ने की थी नार्को की मांग

दिल्ली पुलिस ने पहले कहा था कि उसने पूनावाला की ‘नार्को’ जांच की मांग की है, क्योंकि पूछताछ के दौरान उसके जवाब ‘भ्रामक’ रहे. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि ‘नार्को’ जांच, ब्रेन मैपिंग और पॉलिग्राफी जांच संबंधित व्यक्ति से मंजूरी लिए बिना नहीं की जा सकती हैं. साथ ही इस जांच के दौरान दिए गए बयान अदालत में प्रारंभिक सबूत के तौर पर स्वीकार्य नहीं हैं. केवल कुछ परिस्थितियों में ही ये स्वीकार्य हैं, जब पीठ को मामले के तथ्य और प्रकृति इसके अनुरूप लगे. 

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