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एक्सपेरिमेंटल HIV वैक्सीन लेने के बाद 97 प्रतिशत लोगों में बनीं एंटीबॉडी ! स्टडी में हुआ खुलासा

एक एक्सपेरिमेंटल एचआईवी वैक्सीन को लेकर की गई स्टडी में चौंकाने वाली बात सामने आई है. इस स्टडी में वैक्सीन लगने के बाद 36 वॉलिंटियर्स में से 35 में इस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनने लगीं. हालांकि इससे एचआईवी संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा मिलेगी या नहीं, यह अभी क्लियर नहीं है.

Vaccine Prompts HIV Antibodies: एचआईवी एड्स संक्रमण से दुनिया में करोड़ों लोग जूझ रहे हैं. एचआईवी संक्रमण एक बार शिकार बना ले, तो यह शरीर के इम्यून सिस्टम को डैमेज कर देता है. अब एचआईवी को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है. एचआईवी एड्स से बचाव के लिए लोगों को जल्द ही एक वैक्‍सीन मिल सकती है. दरअसल वैज्ञानिकों ने एक्सपेरिमेंटल वैक्सीन को लेकर क्‍लीनिकल ट्रायल किया था. इसमें शामिल 36 वॉलिंटियर्स में से 35 वॉलिंटियर्स में एचआईवी वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी देखने को मिलीं. हालांकि यह एंटीबॉडी एड्स के संक्रमण के खिलाफ कितना सुरक्षा प्रदान करेंगी, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है.

वैक्सीन में क्या मिला खास?
यह वैक्‍सीन दो डोज में अपना काम करना शुरू कर देती है और वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने लगती है. सबसे बड़ी बात यह सामने आई है कि इस वैक्‍सीन का कोई साइड इफेक्‍ट अभी तक देखने को नहीं मिला है.

इस सवाल का नहीं मिल सका उत्तर
एचआईवी वैक्‍सीन का अर्ली स्‍टेज ट्रायल इस तरह डिजाइन किया गया था‍ कि पता चले कि यह कितना सेफ होगा और इसके अवधारणा क्‍या होगी. इस शोध में यह स्पष्ट नहीं है कि टीका एचआईवी के खिलाफ सुरक्षा देता है या नहीं. माना जा रहा है कि दो खुराक के बाद बूस्‍टर डोज की भी जरूरत पड़ सकती है. बता दें कि एचआईवी वैक्‍सीन निर्माण में इसलिए भी कठिनाई आ रही है क्योंकि वायरस तेजी से म्‍यूटेंट हो जाते हैं, जिस वजह से ये काफी हद तक एंटीबॉडी से बच जाते हैं.

क्या कहते हैं शोधकर्ता?
टेक्सस विश्वविद्यालय में गैरी कोबिंगर का कहना है कि एचआईवी के खिलाफ टीकाकरण के अब तक के शोधों में एचआईवी के खिलाफ इसे बेस्‍ट बी सेल्‍स इम्‍यून रिस्‍पॉन्‍स कहा जा सकता है. यह तकनीकी रूप से अत्याधुनिक है. हालांकि अभी भी यह साबित नहीं हुआ है कि यह एचआईवी संक्रमण के खिलाफ कितना प्रोटेक्‍शन दे सकता है. यहां तक की इसके डोज को लेकर भी अभी पूरी तरह से जानकारी नहीं मिली है.

वैक्‍सीन निर्माण में मिल सकता है फायदा
कोबिंगर का कहना है कि इस तकनीक की मदद से डेंगू और इन्‍फ्लूएंजा जैसे तेजी से म्‍यूटेंट होने वाले संक्रामक वायरस के खिलाफ बनाई जा रही वैक्‍सीन के निर्माण में भी काफी मदद मिल सकती है. अगर कभी यह काम करता है तो उच्च म्यूटेशन दर वाले वायरस का मुकाबला करने के लिए यह एक नया उपकरण साबित होगा.

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