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Service PMI : मिलेंगी बंपर नौकरियां! सेवा क्षेत्र में 3 महीने की बड़ी तेजी, उत्‍पादन में भी भारत दुनिया में सबसे आगे

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सुस्‍ती और छंटनी से जूझ रही वर्ल्‍ड इकोनॉमी की समस्‍याओं के बीच भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर राहत भरे संकेत मिल रहे हैं. एसएंडपी ग्‍लोबल ने हालिया सर्वे में बताया है कि भारत का सेवा क्षेत्र 3 महीने में सबसे तेज है और रोजगार के मोर्चे पर 3 साल की बड़ी तेजी दिख रही है. दूसरी ओर, मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर ने तो दुनिया में सबसे वृद्धि दर्ज की है जिससे आगे भी रोजगार पैदा होने की उम्‍मीद जगी है.

नई दिल्‍ली. एक तरफ जहां ग्‍लोबल इकोनॉमी सुस्‍ती, मंदी और छंटनी से जूझ रही है, वहीं भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की तस्‍वीरें राहत का संकेत दे रही हैं. एसएंडपी ग्‍लोबल इंडिया सर्विसेज ने सोमवार को आंकड़े जारी कर बताया कि भारत के सेवा क्षेत्र की रफ्तार नवंबर में पिछले 3 महीने के दौरान सबसे तेज रही. इतना ही मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर की रफ्तार तो दुनिया में सबसे तेज रही है. इससे संकेत मिलते हैं आने वाला समय भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए बेहतर होगा और नौकरियों के ज्‍यादा अवसर भी बनेंगे.

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एसएंडपी ग्‍लोबल इंडिया ने अपने सर्वे में बताया कि नवंबर में सेवा क्षेत्र का बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्‍स 56.4 रहा जो अक्‍टूबर में 55.1 था. इससे पता चलता है कि भारतीय कंपनियों ने अपने उत्‍पादन पर जोर दिया है, जिससे सेवाओं की मांग भी बढ़ी. त्‍योहारी सीजन में कंपनियों ने भी जमकर नौकरियां दी हैं, जिससे सेवा क्षेत्र की रफ्तार 3 महीने में सबसे तेज रही. सर्वे में बताया गया है कि कंपनियों की मार्केटिंग और सेल्‍स में वृद्धि हुई, जिससे लगातार 16वें महीने सेवा क्षेत्र में तेजी दिखी है.

सेवा क्षेत्र में बढ़ रही मांग
एसएंडपी ग्‍लोबल मार्केट इंटेलीजेंस की एसोसिएट डायरेक्‍टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा, भारतीय सेवा प्रदाता कंपनियों को घरेलू बाजार में बढ़ती मांग का फायदा मिल रहा है. इससे नई नौकरियों के सृजन में भी मदद मिल रही और भारत की सर्विस इकोनॉमी को भी बूम मिल रहा है. अगर रोजगार की बात की जाए यह मजबूती से आगे बढ़ रहा है और इसमें तीन साल की सबसे ज्‍यादा तेजी दिख रही है.

महंगाई सबसे बड़ी चुनौती
कंपनियों का कहना है कि उत्‍पादन और सेवा क्षेत्र को आगे बढ़ाने में महंगाई सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. देशभर में उत्‍पादन लागत बढ़ रही. ट्रांसपोर्टेशन कॉस्‍ट, बिजली और पानी पर ज्‍यादा खर्च, खाने और पैकेजिंग पेपर पर खर्च के अलावा प्‍लास्टिक और इलेक्ट्रिकल उत्‍पादों का मूल्‍य बढ़ने से ओवरआल उत्‍पादन की लागत भी बढ़ी है. हालांकि, महंगाई के मोर्चे पर चुनौती होने के बावजूद सर्विस सेक्‍टर में तेजी दिख रही है.

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मैन्‍युफैक्‍चरिंग में दुनिया से कहीं आगे पहुंचा भारत
अक्‍टूबर और नवंबर में जहां पूरी दुनिया मैन्‍युफैक्‍चरिंग और निर्यात में गिरावट से जूझती दिखी, वहीं भारत ने दमदार प्रदर्शन किया है. पूरी दुनिया में निर्यात और उत्‍पादन क्षेत्र में वृद्धि हासिल करने वाले सिर्फ दो ही देश रहे भारत और वियतनाम. इस दौरान अमेरिका, चीन, जापान जैसी बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं वाले देश और ग्‍लोबल इकोनॉमी नए ऑर्डर को लेकर जूझती रही, जबकि भारत को देश-विदेश से कई ऑर्डर मिले. नवंबर में भारत का मैन्‍युफैक्‍चरिंग और एक्‍पोर्ट सूचकांक 57 के आसपास रहा, जबकि दूसरे नंबर पर काबित वियतनाम का 51 के करीब रहा है. इस दौरान वर्ल्‍ड इकोनॉमी का मैन्‍युफैक्‍चरिंग और एक्‍सपोर्ट सूचकांक गिरकर 46 के आसपास पहुंच गया.

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