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उत्तराखंड

Nainital : उल्कापात से आज और कल जगमगाएगा आकाश, 16 दिसंबर से हुई शुरुआत अब चरम पर

सोमवार और  मंंगलवार को रातभर अंतरिक्ष में कुदरती आतिशबाजी देखने को मिलेगी। यह आतिशबाजी होगी क्वाड्रेनटिड्स उल्कापात के कारण जो अपने पीक पर पहुंच रहा है। इससे आसमान चमक उठेगा।

नए साल के स्वागत में दुनियाभर के देशों में आधी रात को आतिशबाजी का नजारा देखने को मिला। अब सोमवार और  मंंगलवार को रातभर अंतरिक्ष में कुदरती आतिशबाजी देखने को मिलेगी। यह आतिशबाजी होगी क्वाड्रेनटिड्स उल्कापात के कारण जो अपने पीक पर पहुंच रहा है। इससे आसमान चमक उठेगा।

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वैसे तो इस उल्कापात का सिलसिला 16 दिसंबर से शुरू हो गया था और 16 जनवरी तक चलेगा लेकिन नए साल के दूसरे और तीसरे दिन इसके चरम पर होने के कारण आसमान में अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। इन रातों में आकाश से हर घंटे 80 से भी ज्यादा उल्काओं की बारिश की संभावना है। वैज्ञानिकों को तो यहां तक उम्मीद है कि परिस्थितियां सही होने पर लगभग 200 उल्काओं की बारिश हर घंटे हो सकती है। 

दो और तीन जनवरी को यह उल्कापात सारी रात नजर आएगा। तीन जनवरी आधी रात से सुबह तक यह अपने पीक पर रहेगा। भारत के लिए यह खगोलीय घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस उल्कापात का सबसे अच्छा नजारा उत्तरी गोलार्ध में दिखाई देगा। इस उल्कापात का नाम अब निष्क्रिय हो चुके नक्षत्र क्वाड्रान्स मुरलीस के नाम पर रखा गया है। 

हालांकि, अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने 1922 में नक्षत्रों की सूची से इस तारामंडल को हटा दिया था, लेकिन उल्कापात का नाम पहले से ही तारामंडल क्वाड्रान्स मुरलीस के नाम पर रखा जा चुका था इसलिए इसका नाम नहीं बदला गया। क्वाड्रेनटिड्स को आधुनिक तारामंडल बूट्स के नाम पर बूटिड्स भी कहा जाता है। क्वाड्रेनटिड्स उल्कापात क्षुद्रग्रह 2003 ईएच 1 से संबंधित है।

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क्षुद्रग्रह को सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 5.5 वर्ष लगते हैं। इसके मलबे से गुजरते हुए इसके कण पृथ्वी के वातावरण में लगभग 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से प्रवेश करते हैं और घर्षण से जल कर अग्निरेखा जैसे लगते हैं। आम भाषा में इन्हें टूटते तारे भी कहते हैं। 

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