Pollution in Yamuna River: शाहदरा ड्रेन और नजफगढ़ ड्रेन यमुना में होने वाले प्रदूषण की मुख्य वजह मानी गई है. इसके अलावा 35 में से सिर्फ़ 9 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ही तय मानकों के हिसाब से चल रहे हैं.
दिल्ली. दिल्ली में यमुना नदी (Yamuna River Cleanness) की सफाई को लेकर भले ही लाख दावे किए जाते हों, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यमुना नदी में बीते दो साल में प्रदूषण का स्तर दोगुना हो गया है. दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण (Delhi Pollution) समिति ने उपराज्यपाल को यह रिपोर्ट सौंपी है.
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दरअसल, यमुना की सफ़ाई को लेकर एनजीटी (NGT) ने एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई थी. दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से रिपोर्ट मांगी गई थी. अब इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. जिनमें कहा गया है कि बीते 8 साल में यमुना में प्रदूषण दोगुना हुआ है. गौरतलब है कि उच्च स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष दिल्ली के उपराज्यपाल की अध्यक्षता में 14 जनवरी को कमेटी पहली बैठक हुई थी.
बैठक के दौरान दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने जानकारी दी कि पल्ला इलाक़ा से यमुना हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करती है. उस जगह पर साल 2014 से लेकर आजतक बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर मात्र दो एमजी प्रति लीटर बना हुआ है, लेकिन ओखला बैराज के उस हिस्से पर जहाँ से यमुना दिल्ली को छोड़कर यूपी की तरह बढ़ती है, उस जगह बीओडी लेवल बढ़कर 56 एमजी प्रति लीटर पहुँच गया है. जबकि आठ साल पहले यह 32 एमजी लीटर था.
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क्यों कम नहीं हुआ प्रदूषण
जानकारी के अनुसार, बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड पानी की गुणवत्ता का आंकलन करने के लिए एक महत्वपर्ण पैरामीटर है. जल निकाय में मौजूद सूक्ष्मजीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों को डिकम्पोज़ करने के लिए पानी में ऑक्सीजन की मात्रा होती है. बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर (mg/l) से कम ठीक माना जाता है. उपराज्यपाल को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और जल बोर्ड की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक़, शाहदरा ड्रेन और नजफगढ़ ड्रेन यमुना में होने वाले प्रदूषण की मुख्य वजह मानी गई है. इसके अलावा 35 में से सिर्फ़ 9 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ही तय मानकों के हिसाब से चल रहे हैं.