Driving License: अगले महीने से नए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा. जनवरी के आखिर तक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक ऑटोमेटिक हो जाएंगे. इसके बाद पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी.
Driving License: अगर आपके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है और बनवाने का सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी हो सकती है. अगले महीने से नए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा. इसकी वजह यह है कि दिल्ली में जनवरी के आखिर तक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक ऑटोमेटिक हो जाएंगे. दिल्ली में कुल 13 ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक हैं और अब तक 12 ऑटोमैटिक हो चुके हैं.
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दिल्ली में सिर्फ एक ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट अभी भी मैन्युअल तरीके से किए जाते हैं. दिल्ली के बाद कुछ राज्यों में भी ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक की व्यवस्था हो सकती है. ऑटोमैटिक ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट पास करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि यहां पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरे और सेंसर की निगरानी में होती है. बावजूद ड्राइविंग टेस्ट ऑटोमेटिक होने के बहुत सारे फायदे हैं.
भ्रष्टाचार हो जाएगा खत्म
दिल्ली में करीब 5 साल पहले पहला ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक शुरू किया गया था. इसका मकसद आवेदकों को स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से पहले उनकी ड्राइविंग स्किल की निष्पक्ष तरीके से जांच करना है. इसके अलावा ऑटोमेटिक होने से सालों से चले आ रहे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) में भ्रष्टाचार को भी समाप्त किया जा सकता है. ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट सिस्टम में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होती है. टेस्ट के अपॉइंटमेंट भी ऑनलाइन मिलती है.
हादसों में भी आएगी कमी
राष्ट्रीय राजधानी में सभी टेस्टिंग ट्रैक ऑटोमेटिक होने के बाद किसी तरह के व्यक्ति के हस्तक्षेप की संभावना समाप्त हो जाएगी. इसके बाद ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने के लिए पूरा एग्जाम पास करना जरूरी हो जाएगा. ड्राइविंग टेस्ट में मानवीय हस्तक्षेप को समाप्त करने से सड़कों पर बेहतर ड्राइविंग उतरेंगे, जिससे सड़क हादसों में भी कमी आएगी.
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24 पैरामीटर पर पास करना होता है टेस्ट
ऑटोमेटिक ट्रैक से उन आवेदकों को भी मदद मिलेगी, जो पहले प्रयास में टेस्ट पास नहीं कर पाए हैं. ऑटोमैटिक ट्रैक पर उन्हें पता लगेगा कि उन्होंने अपने पिछले टेस्ट में क्या-क्या गलतियां की थी. आखिरी ट्रैक ऑटोमेटिक होने के बाद दिल्ली भारत का एकमात्र ऐसा राज्य बन जाएगा जहां ड्राइविंग टेस्ट का बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के किया जाएगा. ऑटोमेटेड ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट के तहत इन ट्रैक्स पर लगे सेंसर और कैमरों के जरिए आवेदकों की 24 पैरामीटर्स पर जांच की जाती है.