माघ पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान का विधान है. इस साल माघ पूर्णिमा के अवसर पर रवि पुष्य योग समेत चार शुभ योग बन रहे हैं.
माघ पूर्णिमा माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होती है. माघ पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान का विधान है. इससे पुण्य की प्राप्ति होती है. इस साल माघ पूर्णिमा के अवसर पर रवि पुष्य योग समेत चार शुभ योग भी बन रहे हैं. माघ पूर्णिमा की सुबह ढाई घंटे से अधिक समय तक भद्रा भी है. भद्रा सुबह 07 बजकर 07 मिनट से सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि माघ पूर्णिमा कब है और स्नान दान का शुभ मुहूर्त क्या है?
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माघ पूर्णिमा मुहूर्त 2023
पंचांग के अनुसार, 04 फरवरी को रात 09:29 बजे से माघ पूर्णिमा तिथि लग रही है, जो 05 फरवरी को रात 11:58 बजे तक रहेगी. 05 फरवरी को सूर्योदय के समय माघ पूर्णिमा तिथि रहेगी और रात में पूर्णिमा का चंद्रमा भी रहेगा. इस वजह से माघ पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान 05 फरवरी को किया जाएगा.
रवि पुष्य समेत 4 शुभ योग में है माघ पूर्णिमा
रवि पुष्य योग: 05 फरवरी, सुबह 07:07 बजे से दोपहर 12:13 बजे तक
आयुष्मान योग: सुबह से दोपहर 02:42 बजे तक
सौभाग्य योग: दोपहर 02:42 बजे से पूरी रात तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रात: 07 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक
माघ पूर्णिमा का स्नान-दान
05 फरवरी को माघ पूर्णिमा का स्नान और दान प्रात:काल से शुरु हो जाएगा. इस दिन प्रयागराज के संगम में माघ पूर्णिमा का स्नान करना बेहद ही पुण्य प्रदान करने वाला है. माघ पूर्णिमा को स्नान के बाद किसी गरीब ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र, फल, सब्जी आदि का दान करें. इस दिन आप स्नान के बाद अपने पितरों के लिए जर्पण करें, वे प्रसन्न होकर आपको सुखी जीवन का आशीर्वाद देंगे.
रवि पुष्य योग है उन्नतिकारक
माघ पूर्णिमा के दिन बना रवि पुष्य योग बड़ा ही उन्नतिकारक माना जाता है. रवि पुष्य योग में नए वाहन, मकान, आभूषण की खरीदारी करना शुभ होता है. इस दिन सूर्य पूजा करने से धन-संपत्ति की वृद्धि होती है और आर्थिक उन्नति होती है. इस दिन आप लाल वस्त्र पहन सकते हैं. इस दिन गाय को गुड़ खिलाएं. ऐसा करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होगा.
माघ पूर्णिमा का महत्व
माघ पूर्णिमा को संगम पर स्नान से अश्वमेध यज्ञ के समान ही पुण्य प्राप्त होता है. भगवान विष्णु का अशीर्वाद मिलता है. माघ पूर्णिमा की रात चंद्रमा और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख, समृद्धि, वैभव में वृद्धि होती है.