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धर्म

आज है आमलकी एकादशी, जान लें शुभ मुहूर्त, योग, व्रत और पूजा विधि, सभी कष्टों से मिलेगी मुक्ति

Amalaki Ekadashi 2023 Puja Vidhi: आज 03 मार्च शुक्रवार को आमलकी एकादशी व्रत है. आज के दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं. जानते हैं आमलकी एकादशी के मुहूर्त, शुभ योग, व्रत और पूजा विधि के बारे में.

आज 03 मार्च शुक्रवार को आमलकी एकादशी व्रत है. आज के दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं. इससे स्वर्ग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त होते हैं. इस व्रत को विधिपूर्वक करने से सभी प्रकार के दुख और पाप नष्ट हो जाते हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को आमलकी एकादशी व्रत के महत्व को बताया था. आज आमलकी एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है. इस योग में पूजा पाठ करना फलित होगा. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं आमलकी एकादशी के मुहूर्त, शुभ योग, व्रत और पूजा विधि के बारे में.

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आमलकी एकादशी 2023 मुहूर्त
फाल्गुन शुक्ल एकादशी तिथि का शुभारंभ: 2 मार्च, गुरुवार, सुबह 06 बजकर 39 मिनट से
फाल्गुन शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 3 मार्च, शुक्रवार, सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर
पूजा का मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 45 मिनट से सुबह 11 बजकर 06 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06 बजकर 45 मिनट से दोपहर 03 बजकर 43 मिनट तक
सौभाग्य योग: प्रात:काल से लेकर शाम 06:45 बजे तक
शोभन योग: शाम 06:45 बजे से पूरी रात
द्वादशी तिथि का समापन: 04 मार्च, सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर

आमलकी एकादशी व्रत का पारण समय
04 मार्च को आमलकी एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा. इस दिन सुबह 06:44 बजे से लेकर सुबह 09:03 बजे के मध्य पारण का शुभ समय है.

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आमलकी एकादशी पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा करके आमलकी एकादशी व्रत और विष्णु पूजा का संकल्प करें. उसके बाद दैनिक पूजा कर लें.

2. अब पूजा के शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. उनका पंचामृत से अभिषेक करें. फिर उनको वस्त्र, तुलसी के पत्ते, अक्षत्, हल्दी, चंदन, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें.

3. उसके बाद भगवान विष्णु को आंवले के फल का भोग लगाएं. भगवान विष्णु ने आंवले के वृद्वा की उत्पत्ति की थी. यह एक देव वृक्ष है.

4. अब आप आंवले के पेड़ की पूजा करें और उसकी 11 या 21 बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत लपेट दें. फिर आमलकी एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें.

5. घी का दीपक जलाकर उससे भगवान विष्णु की आरती करें. पूजा समाप्ति के बाद क्षमता अनुसार दान पुण्य करें. दिनभर फलाहार पर रहें.

6. रात्रि जागरण के अगले दिन सुबह स्नान ध्यान के बाद पूजा करें और शुभ मुहूर्त पारण करके व्रत को पूरा करें. इस व्रत को करने से 1000 गायों को दान करने के बराबर पुण्य मिलता है.

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