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सिलिकॉन वैली बैंक के चक्कर में बुरे फंसे भारतीय स्टार्टअप, कर्मचारियों की सैलरी पर संकट, अटक गई बहुत बड़ी रकम

सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) से पैसे निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. अमेरिकी बैंक नियामक ने SVB की सारी संपत्ति को जब्त कर लिया है. यह अमेरिका के पिछले 10 साल के इतिहास में सबसे बड़ा बैंक संकट है.

नई दिल्ली. यूएस के 16वें सबसे बड़े बैंक के कथित तौर पर डूबने के बाद अब करीब 60 भारतीय स्टार्टअप्स पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. दरअसल, सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) में इन स्टार्टअप्स का करीब 400 करोड़ रुपया फंस गया है. अमेरिकी सरकार ने 13 मार्च को बैंक से पैसा निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसकी वजह से यह परेशानी खड़ी हो गई है. खबरों के अनुसार, 40 स्टार्टअप के 2-8 करोड़ व 20 स्टार्टअप 8-8 करोड़ से अधिक रुपये में बैंक में फंस गए हैं. पैसा फंस जाने के कारण इन स्टार्टअप्स का काम भी प्रभावित होने लगा है.

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भारत की सरकार ने स्थिति को देखते हुए स्टार्टअप फाउंडर्स की मदद के लिए उनसे अलगे हफ्ते मुलाकात करने की बात कही है. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि अगले हफ्ते संस्थापकों से मुलाकात की जाएगी और देखा जाएगा कि इस हालात में उनकी क्या मदद की जा सकती है. गौरतलब है कि अगर बैंक से पैसा निकालने पर प्रतिबंध जारी रहा तो भारतीय स्टार्टअप्स को अपने कर्मचारियों का वेतन भुगतान करने में भी परेशानी आ सकती है.

1.5 दशक में सबसे बड़ा बैंक संकट
करीब 15 साल पहले अमेरिका के वाशिंगटन म्यूचुअल के ढहने के बाद ये किसी सबसे बड़े वित्तीय संस्थान का पतन है. सिलिकॉन वैली बैंक कई स्टार्टअप में निवेश करता रहा है. पेटीएम के विजय शेखर शर्मा के अनुसार, सिलिकॉन वैली बैंक उनकी कंपनी में निवेश करने वाले पहले संस्थानों में से एक था. हालांकि, अब उसकी पेटीएम में कोई हिस्सेदारी नहीं है. फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में आक्रामक रूख अपनाए जाने का इस बैंक को काफी नुकसान उठाना पड़ा. बैंक पिछले साल से ही वित्तीय दबाव से जूझ रहा था.

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क्यों गिरा बैंक
जानकारों के अनुसार, बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में अरबों डॉलर मूल्य के बॉन्ड खरीदे थे और इसके लिए ग्राहकों की जमा राशि का उपयोग किया. यह एक बहुत सामान्य बात है, अक्सर बैंक ऐसा ही करते हैं. हालांकि, ब्याज दरों में तेज वृद्धि के कारण इन बॉन्ड्स का मूल्य गिर गया. वैसे तो यह कोई बड़ी समस्या नहीं है क्योंकि निवेश लंबे समय के लिए होता है और दीर्घावधि में बॉन्ड्स बाउंस बैक कर जाते हैं. परेशानी तब खड़ी हो जाती है जब इन बॉन्ड्स को जल्दबाजी में बेचना पड़ जाए. बैंक को बॉन्ड अपने जमाकर्ताओं को बढ़ती निकासी की मांग को पूरा करने के लिए बेचने पडे़. दरअसल, कैश की कमी से जूझ रहे कई स्टार्टअप्स ने अचानक बैंक से निकासी तेज कर दी जिसकी वजह से कम दाम में ही बैंक बॉन्ड बेचने पर मजूबर हो गया.

क्या बनेंगे 2008 जैसे हालात?
विशेषज्ञ मानते हैं कि व्यापक बैंकिंग क्षेत्र में इसके फैलने की आशंका फिलहाल नहीं है. सिलिकॉन वैली बैंक बड़ा था, लेकिन विशेष रूप से प्रौद्योगिकी की दुनिया और वेंचर कैपिटल समर्थित कंपनियों तक सीमित था. इसकी भागीदारी अर्थव्यवस्था के उस विशेष हिस्से से साथ बहुत थी, जो पिछले एक साल में बुरी तरह प्रभावित हुआ था

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