Income Tax Return: आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2019-20 में आयकर रिटर्न (ITR) में आय नहीं बताने या कम बताने को लेकर ई-सत्यापन के लिए लगभग 68,000 मामलों को लिया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) प्रमुख नितिन गुप्ता ने सोमवार को यह जानकारी दी.
आयकर विभाग ई-सत्यापन योजना के अंतर्गत करदाताओं को वित्तीय लेनदेन और भरे गए आईटी रिटर्न के बारे में वार्षिक सूचना विवरण (AIS) में असमानता के बारे में बताता है. करदाताओं को अगर लगता है कि ई-सत्यापन में बताई गई असमानता सही है तो वह इसके लिए स्पष्टीकरण देते हुए कर विभाग को जवाब भेज सकते हैं.
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गुप्ता ने कहा, “विभाग ने शुरुआती तौर पर तय जोखिम प्रबंधन मानकों के आधार पर वित्त वर्ष 2019-20 के लगभग 68,000 मामले ई-सत्यापन के लिए उठाए हैं. इनमें से 35,000 मामलों (56 प्रतिशत) में करदाता पहले से ही संतोषजनक जवाब भेज चुके हैं या संशोधित आईटीआर भर दिया है.”
उन्होंने बताया कि अब तक कुल 15 लाख संशोधित आईटीआर भरे जा चुके हैं और कर के रूप में 1,250 करोड़ रुपये एकत्रित हो चुके हैं.
हालांकि शेष 33,000 मामलों में करदाताओं से कोई जवाब नहीं आया है.
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करदाताओं के पास 2019-20 के लिए संशोधित आईटीआर जमा करने के लिए 31 मार्च, 2023 तक समय है.
गुप्ता ने कहा, “जब कोई आयकरदाता संशोधित आईटीआर भर देता है तो उसके मामले को जांच या पुनर्मूल्यांकन के लिए उठाए जाने की संभावना बहुत कम हो जाती है.”
उन्होंने कहा कि ई-सत्यापन के लिये जोखिम मानक हर साल तय किये जाते हैं. हालांकि उन्होंने ई-सत्यापन के लिए मामले के चयन को लेकर मानदंडों का खुलासा नहीं किया.