दिल्ली HC ने अधिवक्ता को अदालत के आदेशों की अवमानना करने पर 6 महीने की सजा सुनाई है। न्यायमूर्ति प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि यह एक उपयुक्त मामला है जहां अदालत द्वारा दिखाई गई किसी भी नरमी को कमजोरी के रूप में गलत तरीके से समझा जाएगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तरी दिल्ली के किंग्सवे कैंप में स्थित एक संपत्ति के संबंध में मकान मालिक को उपयोग और कब्जे के शुल्क का भुगतान करने के न्यायिक आदेशों का पालन नहीं करने पर अदालत की अवमानना का दोषी पाए जाने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अधिवक्ता को 6 महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई।
न्यायमूर्ति प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि यह एक उपयुक्त मामला है जहां अदालत द्वारा दिखाई गई किसी भी नरमी को कमजोरी के रूप में गलत तरीके से समझा जाएगा। अदालत ने अधिवक्ता पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने कहा कि कानून के बारे में जागरुक और आदेशों की बाध्यकारी प्रकृति को जानने के बावजूद भी अधिवक्ता ने इसके प्रति कम सम्मान दिखाया गया है।अदालत ने उक्त टिप्पणी संपत्ति के मालिकों द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए की।इसका उपयोग वकील द्वारा व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पेइंग गेस्ट आवास के रूप में किया गया था।
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अवमानना याचिका 25 फरवरी 2021 को तब दायर की गई थी, जब अधिवक्ता संपत्ति पर कब्जा जारी रखते हुए उपयोग और कब्जे के शुल्क का भुगतान करने में विफल रहा। अधिवक्ता ने मामला लंबित रहने के दौरान संपत्ति का कब्जा तो सौंप दिया था, लेकिन कई अवसरों के बावजूद भी अदालत द्वारा पारित आदेश का पालन करने में विफल रहे। अधिवक्ता ने 25 मार्च 2021 को अदालत में शपथ पत्र देकर कहा था कि वह बकाया उपयोग और कब्जे के शुल्क का भुगतान करेगा, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अदालत ने अधिवक्ता द्वारा बिना शर्त माफी से असंतुष्टी जाहिर करते हुए कहा कि यह जुबानी माफी है।