2023 Chaitra Navratri चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो जाता है। इस दिन हिन्दू नववर्ष का भी शुभारंभ होता है। मान्यता है कि हर साल नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं जिनका अर्थ और महत्व भी अलग होता है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023: प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 22 मार्च 2023, बुधवार (Chaitra Navratri 2023 Start Date) को होगा और इसका समापन 31 मार्च 2023, शुक्रवार के दिन होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि में नवदुर्गा की उपासना करने से और नौ दिनों तक उपवास रखने से साधक को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
बता दें कि हर साल मां दुर्गा अलग-अलग वाहन पर सवार होकर अपने भक्तों को दर्शन देने आती हैं। इस वर्ष भी चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा खास वाहन पर सवार होकर आएंगी। धर्माचार्य बताते हैं कि नव संवत्सर 2080 के चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन मां दुर्गा ‘नौका’ पर सवार होकर आएंगी।आइए जानते हैं क्या है इसका अर्थ और महत्व?
मां दुर्गा के वाहन का महत्व
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे ।
नौकायां सर्वसिद्धिस्या दोलायां मरणंधुवम् ।।
इस श्लोक में बताया गया है कि जब मां दुर्गा गज अर्थात हाथी पर सवार होकर आती हैं तो उस वर्ष अधिक वर्ष होती है। जब वह घोड़े पर सवारी करते हुए आती हैं तो युद्ध की प्रस्थिति उत्पन्न होती है। जब वह नाव पर होकर दर्शन देती हैं तो इसे सभी सिद्धियों में पूर्ण का संदेश माना जाता है। अंत में माता यदि डोली में सवार होकर आती हैं तो इसे महामारी का संकेत माना जाता है।
इसके साथ बता दें कि धर्माचार्य माता के वाहन का अनुमान दिन के अनुसार लगाते हैं। नवरात्रि का शुभारंभ यदि सोमवार या रविवार को हो रहा है तो मां हाथी पर सवार होती हैं। शनिवर या मंगलवार के दिन यदि नवरात्रि शुरू होती है तो मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार और शुक्रवार के दिन शुरू होने पर मां डोली में आती हैं औत बुधवार के दिन नवराति का शुभांरभ होने से मां नौका पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देती हैं।
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मां दुर्गा की सवारी नौका का महत्व
जब मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आती हैं तो इसे अत्यंत फलदायी माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नाव अच्छी वर्षा और लहलहाती फसल का संकेत है। इसके साथ इस नवरात्रि में जो साधक माता का स्मरण करता है और पूजा-पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।