नीतीश कुमार की सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को रमजान में कार्यालय आने और जाने को लेकर राहत दी है. हालांकि इस आदेश के बाद सियासत भी शुरू हो गई है.
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एआईएमआईएम के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी के सीमांचल दौरे के बीच नीतीश कुमार की सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को रमजान में कार्यालय आने और जाने को लेकर राहत दी है. हालांकि इस आदेश के बाद सियासत भी शुरू हो गई है. सामान्य प्रशासन विभाग ने शुक्रवार को आदेश जारी कर कहा कि सरकार द्वारा मुस्लिम कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों की सुविधा के मद्देनजर रमजान की अवधि के लिए निर्धारित समय से एक घंटा पूर्व कार्यालय आने तथा निर्धारित समय से एक घंटा पूर्व कार्यालय छोड़ने की अनुमति प्रदान की जाती है. आदेश में यह भी कहा गया है कि यह आदेश स्थायी रूप से प्रत्येक वर्ष के लिए प्रभावी रहेगा.
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बिहार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से यह आदेश सभी विभागों, उनके अध्यक्षों, पुलिस महानिदेशक, आयुक्तों और जिले के अधिकारियों को भेजा गया है. यह आदेश संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों पर भी लागू होगा. आदेश में यह भी कहा गया है कि जहां बायोमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लागू है, वहां भी इसी आदेश के हिसाब से उनकी हाजिरी लगेगी यानी मुस्लिम कर्मचारी एक घंटे पहले अटेंडेंस लगा सकेंगे.
इधर, भाजपा ने सरकार के इस आदेश को अनुचित माना है. भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि सरकार धर्म के आधार पर लोगों को बांटना चाहती है. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या सरकार अन्य धर्मावलंबियों के पर्व और त्योहारों में भी ऐसी ही राहत देने की योजना बनाई है. उन्होंने कहा कि पहले से ही सीमांचल के इलाकों में उर्दू स्कूलों सहित कई स्कूलों में शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी होती है. उन्होंने कहा कि यह वोटबैंक को संदेश देने की घटिया राजनीति है, इसे न्यायोचित नहीं कहा जा सकता है. उल्लेखनीय है कि सांसद ओवैसी दो दिनों के दौरे पर बिहार के सीमांचल में पहुंचे हैं.
