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धर्म

कौन सी हैं बजरंगबली की 8 सिद्धियां, जो हर क्षेत्र में दिला सकती हैं सफलता, यहां जान लीजिए

Asht Siddhi ke Data: हिंदू धर्म में महाबली हनुमान को अष्ट सिद्धि और नौनिधियों के दाता कहा जाता है. यह अष्ट सिद्धियां हनुमान जी वरदान स्वरूप अपने भक्तों को भी देते हैं, लेकिन हनुमान जी से अष्ट सिद्धियों का वरदान प्राप्त करने के लिए अपार भक्ति और सतत साधना की आवश्यकता होती है.

Asht Siddhi ke Data: सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही सिद्धियों और दिव्य ज्ञान का विशेष महत्व बताया जाता रहा है. सिद्धि शब्द का अर्थ होता है पूर्णता को प्राप्त करना. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार बजरंगबली को भगवान शिव के 11 अवतार, अष्ट सिद्धि और नवनिधि के दाता के रूप में जाना गया है. गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा की एक पंक्ति में कहा गया है. अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता. दोहे में जिन सिद्धियों की बात की गई है, वह बहुत ही चमत्कारी शक्तियां है और यह सभी अष्ट सिद्धियां हनुमान जी को वरदान के स्वरूप हासिल है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

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ये 8 इस सिद्धियां इस प्रकार हैं

अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व.

अणिमा- अणिमा सिद्धि के दम पर हनुमान जी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते थे. इस सिद्धि का प्रयोग हनुमान जी ने समुद्र पार कर लंका पहुंचने के बाद किया था. इस सिद्धि का उपयोग करके ही हनुमान जी ने पूरी लंका का निरीक्षण किया और अति सूक्ष्म होने कारण हनुमान जी के विषय में लंका के लोगों को बिल्कुल भी पता नहीं चल सका.

महिमा- महिमा सिद्धि के द्वारा हनुमान जी अपने शरीर को विशाल बना सकते थे. इस विधि का प्रयोग हनुमान जी ने लंका पार करते समय रास्ते में नागों की माता सुरसा को परास्त करने के लिए किया था. इसके अलावा माता सीता को श्री राम की वानर सेना पर विश्वास दिलाने के लिए हनुमान जी ने इस सिद्धि का उपयोग करते हुए स्वयं के रूप को अत्यंत विशाल कर लिया था.

गरिमा- इस सिद्धि की मदद से हनुमान जी अपना स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते थे. इस सिद्धि का उपयोग हनुमान जी ने महाभारत काल में भीम के सामने किया था. जब भीम को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया था. तब हनुमान जी ने भीम के घमंड को तोड़ने के लिए वृद्ध वानर का रूप धारण कर रास्ते में अपनी पूंछ फैला ली. भीम ने जब हनुमान जी की पूंछ उठाई तो वह उस पूछ को नहीं उठा सका इस प्रकार भीम का घमंड टूट गया.

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लघिमा- सिद्धि के द्वारा हनुमान जी अपना स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते थे, और पल भर में वे कहीं भी आ जा सकते थे. जब हनुमान जी अशोक वाटिका में थे तब उन्होंने अणिमा और लघिमा सिद्धि का इस्तेमाल कर सूक्ष्म रूप धारण करके अशोक वाटिका के पेड़ के पत्तों में छिप गए. इन पत्तों में बैठे-बैठे ही उन्होंने माता सीता को अपना परिचय दिया था.

प्राप्ति – इस सिद्धि के द्वारा हनुमान जी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर सकते थे. पशु पक्षियों की भाषा को समझ सकते थे और आने वाले समय को भी देख सकते थे. रामायण में हनुमान जी ने इस सिद्धि का उपयोग सीता माता की खोज करते समय कई पशु पक्षियों से बातचीत के समय किया था.

प्राकाम्य- इस सिद्धि की सहायता से हनुमान जी कहीं भी जा सकते थे. आकाश में उड़ सकते थे और मनचाहे समय तक पानी के अंदर भी जीवित रह सकते थे. इस सिद्धि से हनुमान जी चिरकाल तक युवा भी रह सकते हैं. इस सिद्धि के द्वारा ही अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी रूप को धारण कर सकते हैं. रामचरितमानस में हनुमान जी ने सुग्रीव के कहने पर ब्राह्मण का रूप धारण करके भगवान राम से भेंट की थी.

ईशित्व- इस सिद्धि के द्वारा हनुमान जी को कई दैवीय शक्तियां प्राप्त हुईं थीं. इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमान जी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया था. इस सिद्धि के कारण ही उन्होंने वानरों पर नियंत्रण रखा. साथ ही इस सिद्धि से ही उन्होंने युद्ध में मृत वानरों को फिर से जीवित किया था.

वशित्व- इस सिद्धि के कारण ही हनुमान जी जितेंद्रिय हैं, और अपने मन पर नियंत्रण रख सकते हैं. वशित्व सिद्धि के कारण हनुमान जी किसी भी प्राणी को अपने वश में कर सकते हैं. इसी के प्रभाव से हनुमान जी अतुलित बल के धाम हैं.

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