अक्सर हम बड़े लेनदेन के लिए चेक का इस्तेमाल करते हैं, कई बार तो छोटे लेनदेन भी चेक से ही करते हैं. लेन-देन के दौरान कुछ लोग अकाउंट बियरर चेक काटते हैं. क्या आप जानते हैं बियरर चेक का मतलब.
नई दिल्ली. अगर आपने चेक से पेमेंट किया होगा तो account payee और bearer cheque के बारे में सुना ही होगा. आपको बता दें कि अकाउंट पेई और बियरर चेक अलग-अलग तरीके वाले चेक नहीं होते हैं. दरअसल साधारण चेक को ही अकाउंट पेई या बीयरर चेक में तब्दील किया जाता है. किसी भी अन्य चेक की तरह, बियरर चेक भी आपको किसी व्यक्ति या व्यवसाय के पक्ष में पैसा निकालने की अनुमति देता है. चलिए जानते हैं इसके बारे में डिटेल में….
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क्या कभी आपने चेक पर कुछ चीजों को नोटिस किया है, जैसे की पैसा भरन के बाद अंत में Only या फिर मात्र क्यों लिखते हैं. चेक के कॉर्नर पर दो लाइनें क्यों खीचते हैं या चेक के पीछे साइन क्यों किया जाता है, वगैरह. आज हम आपको बियरर चेक क्या होता है, इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है, इसके बारे में बताएंगे.
क्या होता है बियरर चेक
बियरर चेक को कोई भी डायरेक्ट काउंटर से इनकैश करा सकता है. इसके लिए जिसके नाम पर चेक काटा गया है, उसका बैंक अकाउंट होना अनिवार्य नहीं है क्योंकि चेक का पैसा अकाउंट में क्रेडिट नहीं होता है. बियरर चेक जारी करने वाला खुद भी बियरर बनकर पैसा निकाल सकता है. बियरर चेक के साथ यह जोखिम रहता है कि अगर यह किसी अन्य व्यक्ति के हाथ लग गया तो वह भी उसमें दर्ज रकम को निकाल सकता है.
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किन बातों का रखना होता है ध्यान
बियरर चेक काटते वक्त चेक के लेफ्ट (बायीं) ओर टॉप कॉर्नर पर डबल क्रॉस लाइन न करें. ध्यान रहे ये चेक कहीं गुम न हो, यदि ऐसा होता है तो गलत में पड़ने वाला व्यक्ति इसका इस्तेमाल कर सकता है. अगर आप एडवांस में किसी को चेक देते हैं, तो आपको ये सुनिश्चित करना चाहिए कि आपने जिस तारीख का चेक सामने वाले को दिया है उस तारीख को आपके बैंक खाते में पैसे मौजूद हों.
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चेक क्लियर होने में कितना लगता है समय
बियरर चेक से भुगतान तुरंत हो जाता है, हालांकि इसे चेक जारी करने वाले व्यक्ति की ब्रांच में कैश काउंटर पर जमा करना पड़ता है. अकाउंट पेयी चेक की प्रोसेसिंग होती है और ये पैसा जिसके नाम से चेक जारी किया गया है, उसके खाते में आता है. चैक की प्रोसेसिंग में लगने वाला समय इस बात से तय होता है कि चेक को क्लीयरिंग के लिए कहां जमा किया गया है. अगर जिस ब्रांच ने चेक जारी किया है, उसमें ही चेक डिपॉजिट के लिए लगाया जाए तो ऐसे चेक के क्लीयर होने में बहुत कम समय लगता है. आमतौर पर 1 दिन में ये चेक क्लीयर हो जाता है. वहीं लोकल क्लीयरिंग में 3 दिन का समय लगता है. यानी तीसरे दिन आपके खाते में पैसा आ जाता है.
