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Liquid Funds vs Savings Account: समझदारी सेविंग्स अकाउंट में पैसे रखने में है या लिक्विड फंड में? फायदे की बात जान लो

Liquid Funds vs Savings Account: लिक्विड फंड्स को बैंक के सेविंग्स अकाउंट का ऑल्टरनेटिव कहा जाता है. लेकिन ये ज़रूरी है कि आप अपने सेविंग्स अकाउंट में कुछ पैसे ज़रूर रखें. लिक्विड फंड्स पर मिलने वाला इंटरेस्ट पूरी तरह से टैक्सेबल होता है, इसके साथ ही ज़रूरत पड़ने पर तुरंत पैसे निकल जाएं ऐसा भी ज़रूरी नहीं होता है.

नई दिल्ली. ‘अकाउंट में पैसे पड़े ही तो हैं, इंटरेस्ट भी खास नहीं मिलता, कहीं नहीं तो लिक्विड फंड्स में इनवेस्ट कर दो. जब ज़रूरत हो तब निकाल लेना’ ये एक ऐसा सुझाव है जो लोग अक्सर दे देते हैं. मार्केट एक्सपर्ट्स भी लिक्विड फंड्स को सेविंग्स बैंक अकाउंट के ऑल्टरनेट के तौर पर देखते हैं. कई लोग अपने सेविंग बैंक अकाउंट में पैसे रखने की जगह उन्हें लिक्विड फंड्स में रखना प्रिफर करते हैं, क्योंकि उससे उन्हें बेहतर इंटरेस्ट मिलता है.

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लिक्विड फंड बनाम सेविंग्स अकाउंटः रिस्क
यहां लिक्विड फंड से मतलब है, वह म्यूचुअल फंड जिनमें कम समय के लिए पैसे लगाए जा सकते हैं और जो सेविंग्स बैंक अकाउंट की तुलना में ज्यादा रिटर्न देते हैं. ज्यादातर मामलों में म्यूचुअल फंड्स बिना नुकसान के अच्छा रिटर्न देते हैं. हालांकि, म्यूचुअल फंड्स बाजार जोखिम के अधीन होते हैं. इसलिए लिक्विड फंड्स के लिए ये नहीं कहा जा सकता है कि वो पूरी तरह सुरक्षित हैं.

वहीं, सेविंग्स अकाउंट में रखे पैसों पर एक फिक्स्ड इंटरेस्ट मिलता है. ये इंटरेस्ट लिक्विड फंड्स की तुलना में कम होता है, लेकिन इसमें पैसों के नुकसान का रिस्क नहीं होता है. केवल बैंक डूबने की स्थिति में नुकसान का रिस्क होता है, हालांकि RBI के तहत आने वाला Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation यानी DICGC देश के सभी बैंक्स को कवर करता है. DICGC बैंक में रखे 5 लाख तक के अमाउंट पर पूरा इंश्योरेंस देता है.

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लिक्विड फंड बनाम सेविंग्स अकाउंटः लिक्विडिटी
बड़े-बूढ़े बता गए हैं कि आड़े वक्त के लिए हाथ में कुछ पैसे ज़रूर होने चाहिए. इसी वजह से UPI, Cards और ऑनलाइन बैंकिंग की सुविधा के बावजूद लोग अपने साथ कुछ कैश लेकर चलना प्रिफर करते हैं. खासकर तब जब वो ऐसे इलाकों में जाते हैं जहां नेटवर्क फेल होने या कार्ड पेमेंट न हो पाने की आशंका हो.

सेविंग्स अकाउंट में रखा पैसा पूरी तरह लिक्विड होता है. आप उसे कभी भी निकाल सकते हैं. बैंक हॉलीडे होने पर भी आप एटीएम से कैश निकाल सकते हैं या अपने अकाउंट में रखे पैसे ऑनलाइन ट्रांसफर कर सकते हैं. जबकि लिक्विड फंड्स में रखा पैसा पूरी तरह लिक्विड नहीं होता है. कुछ लिक्विड फंड्स इंस्टेंट रिडीम का दावा करते हैं, लेकिन उनमें भी अगर वीकेंड या फिर छुट्टी वाले दिन रिक्वेस्ट डाली जाए तो वो रिक्वेस्ट अगले वर्किंग डे पर ही अप्रूव होगी. माने, अगर आपको इतवार को या किसी छुट्टी वाले दिन पैसों की अचानक ज़रूरत पड़ जाए तो उसे आप लिक्विड फंड से तुरंत नहीं निकाल पाएंगे.

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लिक्विड फंड बनाम सेविंग्स अकाउंटः टैक्स
सेविंग्स बैंक अकाउंट पर साल में 10 हजार तक का इंटरेस्ट पूरी तरह टैक्स फ्री होता है. वहीं, लिक्विड फंड्स में मिलने वाला रिटर्न शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स के दायरे में आता है. इस पर मिलने वाला रिटर्न आपकी टोटल इनकम में ऐड होगा और फिर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से उससे टैक्स कटेगा.

लिक्विड फंड्स बेशक अपना कैपिटल बढ़ाने के लिए सही ऑप्शन हैं. लेकिन उन्हें सेविंग्स बैंक अकाउंट के ऑल्टरनेटिव के तौर पर नहीं रखा जा सकता है. अगर आपके पास सेविंग्स है तो सारा का सारा पैसा लिक्विड फंड्स में डाल देने की जगह, कुछ पैसे इमरजेंसी के लिए बचाकर रखें. ताकि मुश्किल वक्त में आपको किसी से उधार न लेना पड़े.

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