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Nargis Dutt Birth Anniversary: जब बीमारी से तड़पती नरगिस दत्त को डॉक्टर ने दी थी मरने की सलाह, सुनील दत्त ने लिया था ये फैसला

भारतीय सिनेमा की दग्गज अदाकारा नरगिस ने हिंदी सिनेमा को कई हिट फिल्में दी हैं, जिसमें ‘मदर इंडिया’, ‘श्री 420’, ‘चोरी-चोरी’, ‘अंदाज’, ‘आवारा’, ‘बरसात’, ‘आग’ समेत कई शानदार फिल्में शामिल हैं। अभिनेत्री लगभग तीन दशक तक हिंदी सिनेमा में सक्रिय रहीं। अभिनेत्री नरगिस रुपहले पर्दे पर जितनी खूबसूरत थीं, असल जिंदगी में उनका दिल भी उतना ही खूबसूरत था।

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वह एक जिंदादिल इंसान थीं। महज 6 वर्ष की आयु में उन्होंने बाल कलाकार के तौर पर फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। नरगिस का जन्म 1 जून 1929 को कोलकाताा में हुआ था। अभिनेत्री के पिता मोहन चन्द उत्तम चन्द या मोहन बाबू थे लेकिन उन्होंने इस्लाम अपनाकर अब्दुल राशिद बन गए थे। नरगिस का असली नाम फ़ातिमा रशिद है। नरगिस ने अपने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की थी। जब उन्होंने सिनेमा में कदम रखा था तब वह महज पांच साल की थीं। अभिनेत्री की पहली फिल्म ‘तलाश-ए-हक’ थी। इस फिल्म में नरगिस के काम को पसंद किया गया था। आज एक्ट्रेस की 94वीं बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर हम आपको उनकी पर्सनल लाइफ से जुड़ी अनसुनी बातें बता रहे हैं।

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ऐसे हुई थी सुनील दत्त से मुलाकात

सुनील दत्त और नरगिस की मुलाकात सबसे पहले रेडियो के दफ्तर में हुई थी, दरअसल उस समय नरगिस सिनेमा का जाना माना नाम थीं, लेकिन सुनील दत्त सीलोन रेडियो में बतौर रेडियो जॉकी काम किया करते थे और नरगिस का इंटरव्यू करने के लिए उन्हें कहा गया था। नरगिस समय से पहले स्टूडियो पहुंच गईं, लेकिन जैसे ही इंटरव्यू शुरू हुआ तो नरगिस को देखकर सुनील दत्त इतना नर्वस हो गए कि वह सवाल ही नहीं पूछ पाए

कहा जाता है कि इसी वजह से उनकी नौकरी भी जाते जाते बची थी। सुनील दत्त और नरगिस की दूसरी मुलाकात फिल्म दो बीघा जमीन के सेट पर हुई थी। लेकिन दोनों के प्यार की शुरूआत मदर इंडिया के सेट पर हुई थी। बताया जाता है कि नरगिस और सुनील दत्त ने साल 1958 मार्च में गुपचुप तरीके से शादी कर ली थी, लेकिन इसे उन्होंने 1959 में सभी के सामने औपचारिक तौर पर बताया था। शादी के बाद नरगिस ने फिल्मों को अलविदा कह दिया था।

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कैंसर से पीड़ित थी नरगिस

नरगिस कैंसर से पीड़ित थीं। उनको अग्नाशय का कैंसर था, जिसका पता चलने पर न्यूयॉर्क में इलाज कराया गया। कुछ समय बाद वह भारत लौटीं तो उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई और वह कोमा में चली गईं। एक समय तो ऐसा भी आया जब नरगिस कोमा में चली गई थीं और डॉक्टरों ने सुनील दत्त से कह दिया था कि वह एक्ट्रेस को चैन से मरने दें। डॉक्टरों ने सुनील दत्त से कहा था कि नरगिस कई महीनों से कोमा में हैं और अगर वह बच भी गईं तो सिर्फ सब्जी की तरह पड़ी रहेंगी। लेकिन सुनील दत्त ने नरगिस को मौत देने से इनकार कर दिया। मेहनत रंग लाई और नरगिस कोमा से बाहर आ गईं। वह ठीक हो रही थीं। नरगिस कोमा से तो निकल आईं, लेकिन कैंसर को मात नहीं दे सकीं। उन्हें बेटे संजय दत्त की डेब्यू फिल्म ‘रॉकी’ के प्रीमियर पर जाना था। सुनील दत्त ने नरगिस के लिए सीट से लेकर एंबुलेंस, स्ट्रेचर और व्हीलचेयर तक का इंतजाम कर दिया था। पर नरगिस कभी पहुंच ही नहीं पाईं। 3 मई 1981 को वह इस दुनिया को अलविदा कह गईं।

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