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7 तरह के होते हैं ITR Form, जानें आपको कौन सा करना है फाइल

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7 Types Of ITR Forms : भारत में टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) या आईटीआर (ITR) फाइल करना एक जरूरी काम है। आयकर विभाग (Income Tax Department) ने टैक्सपेयर्स की अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने और विभिन्न इनकम सोर्स के लिहाज से अलग-अलग ही आईटीआर फॉर्म तैयार किए हैं। हर आईटीआर फॉर्म आयकर रिटर्न फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स की खास कैटेगरी के लिए है। यहां हम आपको उपलब्ध 7 आईटीआर फॉर्म्स की जानकारी देंगे।

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आईटीआर-1 (सहज)

आईटीआर-1, जिसे सहज के नाम से भी जाना जाता है, सैलेरी पाने वाले लोगों और पेंशनभोगियों के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला फॉर्म है। यह फॉर्म उन लोगों के लिए लागू होता है जब टैक्सपेयर्स की इनकम सैलेरी होती है, उसके पास एक घर है और अन्य स्रोतों जैसे कि ब्याज आय और कृषि से केवल 5 हजार रु तक की आय होती है।

आईटीआर-2

आईटीआर-2 उन लगोों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) पर लागू होता है, जिनकी बिजनेस या प्रोफेशन से आय नहीं है। यह तब लागू होता है जब आप सैलेरी से आय हासिल करते हैं, एक से अधिक घर की संपत्ति आपके पास है, कैपिटल गेन्स, फॉरेन एसेट या कृषि आय 5,000 रुपये से अधिक हो।

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आईटीआर-3

वे इंडिविजुअल या एचयूएफ जो बिजनेस से प्रोफेशन से कमाई करते हैं। यह तब भी लागू होता है यदि आप एक साझेदारी फर्म में भागीदार हैं और फर्म से इनकम हासिल करते हैं।

आईटीआर-4 (सुगम)

आईटीआर-4 या सुगम उन व्यक्तियों, HUF और फर्मों (LLP के अलावा) पर लागू होता है, जिन्होंने धारा 44AD/44ADA/44AE के तहत प्रकल्पित कराधान योजना (प्रीजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम) का विकल्प चुना है।

आईटीआर-5

आईटीआर-5 फर्मों, एलएलपी (LLP), एसोसिएशंस ऑफ पर्सन्स (एओपी), बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स (बीओआई) और आर्टिफिशियल ज्यूडिशियल पर्सन्स (एजेपी) जैसी संस्थाओं पर लागू होता है। यह फॉर्म व्यक्तियों या एचयूएफ के लिए नहीं है।

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आईटीआर -6

आईटीआर-6 सेक्शन 11 के तहत छूट का दावा करने वालों के अलावा अन्य कंपनियों के लिए है। यह उन कंपनियों के लिए है जिन्हें सेक्शन 139(4ए) या सेक्शन 139(4बी) या सेक्शन 139(4सी) या सेक्शन 139(4डी) के तहत रिटर्न फाइल करना होता है।

आईटीआर-7

आईटीआर-7 उन टैक्सपेयर्स के लिए है, जिन्हें आयकर अधिनियम की विशिष्ट धाराओं के तहत रिटर्न दाखिल करना है, जिनमें ट्रस्ट, राजनीतिक दल, रिसर्च एसोसिएशंस, शैक्षणिक संस्थान और धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए एसेट्स से इनकम वाली संस्थाएं शामिल हैं।

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