पाकिस्तानी सरकार ने जीडीपी ग्रोथ रेट का जो आंकड़ा सामने रखा है उससे पता चलता है कि यह पड़ोसी मुल्क कितने बुरे आर्थिक हालात का सामना कर रहा है. जून 2023 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद में 0.29% की वृद्धि दर्ज करने की संभावना है.
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नई दिल्ली. पाकिस्तान अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. पिछले डेढ़ साल से चले आ रहे आर्थिक और राजनीतिक संकट के चलते इस पड़ोसी मुल्क की इकोनॉमी की हालत बद से बदतर हो गई है. हालात ये हो गए हैं कि पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर सिर्फ 0.29 फीसदी और मुद्रास्फीति की दर के लगभग 29 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है.
यह संभावना खुद पाकिस्तान सरकार ने जताई है. जून 2023 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद में 0.29% की वृद्धि दर्ज करने की संभावना है. गुरुवार को जारी देश के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है, जो पिछले साल निर्धारित 5% के लक्ष्य से काफी नीचे है.
पाकिस्तान में रिकॉर्ड महंगाई
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को रिकॉर्ड महंगाई और पिछले साल विनाशकारी बाढ़ से आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिलने वाली महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता पाने में भी यब मुल्क नाकाम रहा. वित्त मंत्री इशाक डार ने वार्षिक रिपोर्ट पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 0.29% सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि एक “यथार्थवादी उपलब्धि” थी. कृषि में 1.55 फीसदी, उद्योग में 2.94 फीसदी और सर्विस सेक्टर में जीडीपी ग्रोथ रेट 0.86 फीसदी रही. सर्वेक्षण में पाया गया कि मई 2023 तक की अवधि के लिए औसत वर्ष-दर-वर्ष मुद्रास्फीति की दर 29.2% दर्ज की गई. हालांकि, चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य 11.5 फीसदी रखा गया था.
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ग्लोबल और घरेलू कारणों से बढ़ी मुश्किलें
पाकिस्तान में अप्रैल और मई में देश की मुद्रास्फीति रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जो एशिया में भी सबसे अधिक थी. पाकिस्तान सरकार के इस आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश में महंगाई के बड़े कारणों में अंतरराष्ट्रीय वस्तुओं की कीमतों, ग्लोबल सप्लाई चैन में परेशानी, बाढ़ से फसलों को नुकसान, गिरती मुद्रा, और देश में राजनीतिक अनिश्चितता शामिल हैं.
पाकिस्तान में अप्रैल तक वित्तीय वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.6% था, इसमें पिछले साल की तुलना में ( 4.9%) मामूली रूप से सुधार हुआ है. पाकिस्तान में जारी मुश्किल आर्थिक हालाता की एक बड़ी वजह विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट भी है. इस देश के पास अब मुश्किल से 1 महीने के आयात के लिए पैसा बचा है.
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चालू खाता घाटा अप्रैल तक 3.3 बिलियन डॉलर तक सीमित हो गया, जिसमें पिछले साल की तुलना में 76% की गिरावट पाई गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मई में देश का व्यापार घाटा भी 40.4% घटकर 25.8 बिलियन डॉलर हो गया.