एक यूजर ने सोशल मीडिया पर अपना किस्सा शेयर कर बताया कि मुझे फ़ास्टैग का उपयोग जारी रखने के लिए पेटीएम वॉलेट में ₹9,00,00,000 / – जोड़ने के लिए एक पॉपअप आया.
नई दिल्ली. चेक बाउंस होने, बिल भुगतान में देरी और बैंक या किसी डिजिटल वॉलेट में अर्याप्त राशि रखने पर कितना जुर्माना लगता है. स्वभाविक-सी बात है कि नियम के अनुसार, राशि के हिसाब से पेनाल्टी वसूली जाती है. लेकिन हरियाणा में एक शख्स को 9 करोड़ रुपये चुकाने का फरमान मिला. वजह थी फास्टैग वॉलेट में अर्याप्त राशि का होना. वाहन मालिक और पेटीएम फास्टैग यूजर ने हाल ही में बताया कि NHAI के टोल प्लाजा का उपयोग करने के लिए उससे 9 करोड़ रुपये मांगे गए. gsratta नाम के एक व्यक्ति ने TeamBHP फोरम पर यह बात शेयर की.
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दरअसल हरियाणा में हिसार के पास मायर टोल प्लाजा के माध्यम से उसके आने-जाने के लिए पैसे लिए गए थे. प्रूफ शेयर करते हुए, इस व्यक्ति ने स्क्रीन शॉट भी दिखाया, जिसमें 9 करोड़ रुपये का बिल दिखाया गया.
अपर्याप्त बैलेंस रखने पर ब्लैकलिस्ट
इस व्यक्ति ने बताया कि जब उसने 9 करोड़ की पेंडिंग रकम के बारे में जानना चाहा तो, उसे जवाब मिला कि FASTag खाते में अपर्याप्त शेष राशि होने के चलते उसे पेटीएम द्वारा ब्लैकलिस्ट कर दिया गया. इस बारे में पूछताछ करने पर पता चला कि उससे 9 करोड़ रुपये चार्ज किए गए, जबकि औसत टोल शुल्क 90 रुपये होना चाहिए था. इसके बाद इस शख्स ने हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया, लेकिन नंबर उपयोग में नहीं था. फिर इस व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर पूरा किस्सा शेयर किया.
इस शख्स ने टीमबीएचपी पर लिखा, “आज मुझे पेटीएम से एक टेक्स्ट मैसेज मिला कि मेरे वाहन का फास्टैग ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है, अपर्याप्त बैलेंस के कारण, पेटीएम एप्लिकेशन में चेक करने पर, मुझे पता चला कि उन्होंने 9 करोड़ रुपये चार्ज किए थे. ये वाकई सच है, आप स्क्रीन शॉट देख सकते हैं.”
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कस्टमर केयर पर कोई सुनवाई नहीं
मुझे फ़ास्टैग का उपयोग जारी रखने के लिए पेटीएम वॉलेट में ₹9,00,00,000 / – जोड़ने के लिए एक पॉपअप आया. उसी टोल प्लाजा पर सामान्य टोल ₹90 है. मैंने इस बारे में हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क किया, लेकिन यह नंबर उपयोग में नहीं था. अब मैं क्या करूं? कृपया सलाह दें.”
इसके बाद TeamBHP पर अन्य यूजर्स ने भी ऐसे ही अनुभव शेयर किए. इनमें से एक यूजर ने कहा कि उससे 1.5 करोड़ रुपये मांगे गए थे. हालाँकि, इस मुद्दे को सुलझा लिया गया था और इसे तकनीकी गड़बड़ी कहा गया था. यह पहली मौका नहीं है जब किसी उपयोगकर्ता को अत्यधिक राशि का बिल भेजा गया है, इससे पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं.