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तालाब और कुओं में कूदकर गोवा में मनाया जाता है ये अनोखा फेस्टिवल, जानें इस बार कब होगा सेलिब्रेट

हर साल 24 जून को गोवा में साओ जोआओ मनाया जाता है. ये एक एक वार्षिक कैथोलिक त्यौहार है.

देश दुनिया में कई तरह के त्यौहार मनाए जाते हैं. इन त्यौहारों की रंगत देखते ही बनती है. इन्हें मनाने का हर किसी का तरीका अलग अलग हो सकता है. गोवा में ऐसा ही एक फेस्टिवल मनाया जाता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं. इस महोत्सव का नाम साओ जोआओ है. ये गोवा का प्रमुख कैथोलिक पर्व है. इस पर्व के दौरान कई अजीबों गरीब चीजें की जाती है. इस फेस्टिवल में फलों, फूलों और पत्तियों से बने मुकुट पहनकर लोग शामिल होंगे.

कब मनाया जाता है साओ जोआओ-

साओ जोआओ को सैन जानव भी कहा जाता है. इसे हर साल 24 जून को गोवा में मनाया जाता है. ये एक एक वार्षिक कैथोलिक त्योहार है. मास के बाद, युवा गोयन कैथोलिक पुरुष सेंट जॉन द बैपटिस्ट को श्रद्धांजलि के रूप में स्थानीय लोग इसे मनाते हैं.

कुओं में लोग लगाते हैं छलांग-

आपको ये सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन इस दौरान लोग कुओं में छलांग लगाते हैं. चूंकि कुएं तेजी से गायब हो रहे हैं, इसलिए लोग इसे स्विमिंग पूल या फिर तालाबों में कूदकर मनाते हैं. कुएं और तालाबों के साथ ही लोग फव्वारे और नदियों में भी खुशी से छलांग लगाते हैं. अंग्रेजी में इसे लीप ऑफ जॉय (Leap of Joy) कहा जाता है. यह त्योहार हर साल जून में राज्य में मानसून के मौसम की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है.

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नए दुल्हे के लिए होता है खास-

ये त्योहार नए दुल्हों के लिए बेहद खास होता है. कहते हैं इस पर्व के दौरान नव विवाहित पुरुषों या शादी होने वाले दुल्हों द्वारा कुएं में डुबकी लगाने से उनकी प्रजनन क्षमताएं बेहतर होती हैं और उनका पारिवारिक जचीवन अच्छा रहता है. ऐसे में इस त्योहार में आपको कुएं में डुबकी लगाने वाले अधिकतर नव विवाहित पुरुष मिलेंगे.

होती है नौकाओं की दौड़ प्रतियोगिता

बारिश का आनंद लेने और पानी में कूदकर मज़ा लेने से पहले लोग पेय पदार्थ फेन्नी का आनंद लेते हैं. इसके साथ ही लोग यहां लजीज व्यंजनों का आनंद लेते हैं. पर्व के दौरान यहां के लोक नृत्य करते हैं. बार्डेज़ में रंग बिरंगे पारंपरिक तरीके से सजे नौकाओं की दौड़ प्रतियोगिता भी आयोजित कराई जाती है.

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कुएं में क्यों कूदते हैं लोग-

ईसाई धर्मग्रंथों को पलटकर देखें तो इसका बखान मिलता है. बताते हैं कि मदर मैरी यीशु को जन्म देने के लिए सेंट एलिजाबेथ के आश्रम में पहुंची थीं. ऐसे में जब उन्होंने यीशु के आने की खबर दी तो वो गर्भ में उन्होंने छलांग लगा दी. इसलिए इस दिन पुरुष मां के गर्भ स्वरुप कुएं में डुबकी लगाते हैं। कुएँ में कूदना गर्भ का प्रतिनिधित्व माना जाता है जबकि छलांग यीशु मसीह के जन्म के साथ अनुभव की गई खुशी प्रतीक है

तालाबों में ढूंढते हैं तोहफे-

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इस पर्व में लोग तालाबों और कुओं में कूदते और फिर तोहफों को ढूंढते हैं. यह एक-दूसरे को जानने-समझने का पर्व होता है. इस दौरान लोग पारंपरिक वेश-भूषा में दिखाई देते हैं. इसमें सभी कोपेल, फलों, फूलों और पत्तियों का मुकुट पहनते हैं.

यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इंडिया डॉट काॅम इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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