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हेल्थ

प्रेग्नेंसी में रोड़ा बन सकती है Gestational Diabetes, ऐसे करें बचाव

जेस्‍टेशनल डायब‍िटीज होने पर मह‍िला के शरीर में इंसुल‍िन हार्मोन की पर्याप्‍त मात्रा नहीं बन पाती. इससे महिला का ब्लड शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है.

आज के समय में हर तीसरा इंसान डायबिटीज की समस्या से जूझ रहा है. अब ये समस्या काफी आम हो चली है. डायबिटीज का ही एक रूप है जेस्टेशनल डायबिटीज. ये प्रेग्नेंसी के वक्त होने वाली डायबिटीज होती है. अक्सर देखा गया है कि ये गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में विकसित होती है. ऐसे में इसके चलते प्रेगनेंसी में कई तरह की दिक्‍कतें आ सकती हैं और इसका सीधा असर बच्चे की सेहत पर पड़ सकता है. आइए इसके बारे में जानते हैं.

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क्या है जेस्टेशनल डायबिटीज?

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है. उनके शरीर में तमाम तरह के बदलाव आते हैं, जो कई परेशानियों को जन्म भी देते हैं. उन्ही बीमारियों में से एक है जेस्टेशनल डायबिटीज. जेस्‍टेशनल डायब‍िटीज होने पर मह‍िला के शरीर में इंसुल‍िन हार्मोन की पर्याप्‍त मात्रा नहीं बन पाती. इससे महिला का ब्लड शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है. हाल ही में हुए एक रिसर्च में इस बात का खुलासा किया गया कि प्रेगनेंसी के 24 से 28वें हफ्ते के बीच जेस्टेशनल डायबिटीज होती है. हालांकि ये बच्चे के जन्म के बाद अपने आप ही खत्म हो जाती है.

जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण –

-जरूरत से ज्यादा थकान है

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-कमजोरी होना

-बार-बार यूरिन आना

-ज्यादा प्यास लगना

-मुंह का सूखना

-धुंधला दिखना

-जननांगों में खुजली

जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण –

-शरीर में इंसुल‍िन हार्मोन पर्याप्‍त मात्रा में नहीं बन पाना

-अनुवांशिक डायबिटीज होना

-प्रेगनेंसी में फिजिकल एक्टिविटी न करना

– अनहेल्‍दी खाना

– ज्‍यादा मीठा खाना

-हार्मोन इंबैलेंस होना

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जेस्टेशनल डायबिटीज का बच्चे पर क्या पड़ता है असर?

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो वैसे तो जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित अधिकतक महिलाएं स्वस्थ बच्चे को ही जन्म देती हैं, लेकिन कुछ मामलों में इसका असर शिशु पर भी पड़ता सकता है क्‍योंकि बच्‍चे को पोषण खून के जरिए ही मिलता है.

-शिशु का साइज अधिक बड़ा हो सकता है

-समय से पहले प्रसव या प्रसव के दौरान परेशानी हो सकती है.

-प्रीटर्म बर्थ की संभावना

-बच्चे में लो ब्लड शुगर या पीलिया की संभावना

-कई मामलों में बच्चे को सांस लेने की दिक्कत की समस्या आती है.

जेस्‍टेशनल डायब‍िटीज से कैसे बचें?

-प्रेगनेंसी के दौरान ज्यादा मीठा खाने से बचें

-फाइबर युक्‍त ताजे फल खाएं

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– समय-समय पर शुगर की जांच करवाएं.

– रोजाना 30 म‍िनट कसरत करें.

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