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दुनिया

लंदन का इंडिया क्लब हमेशा के लिए होगा बंद! आजादी की लड़ाई में रहा है महत्वपूर्ण योगदान, यहां लगता था राष्ट्रवादियों का जमावड़ा

India Club in London to Close Down: लंदन में स्थित 70 साल पुराना ऐतिहासिक ‘इंडिया क्लब’ (India Club) अब हमेशा के लिए बंद होने जा रहा है. भारत की आजादी की लड़ाई में इस इंडिया क्लब की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. लंदन स्थिति इस क्लब में भारतीय स्वतंत्रता के आंदोलन की कई मीटिंग हुईं हैं.

लंदन: लंदन में 70 साल पुराना ऐतिहासिक ‘इंडिया क्लब’ (India Club) अब हमेशा के लिए बंद होने जा रहा है. यह क्लब कृष्ण मेनन सहित राष्ट्रवादियों के केंद्र के रूप में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी प्रारंभिक जड़ें जमाने के लिए जाना जाता था. अब एक लंबी लड़ाई हारने के बाद यह 17 सितंबर को हमेशा के लिए बंद हो जाएगा. क्लब के मालिक याडगर मार्कर और उनकी बेटी फिरोजा इस ऐतिहासिक संस्थान को पिछले 26 सालों से चला रहे हैं.

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न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार कुछ साल पहले उन्होंने सेव इंडिया क्लब कैंपन की शुरूआत की थी. अब उन्होंने इस कैंपन को बंद करने की घोषणा कर दी है. उन्होंने कहा ‘बहुत भारी मन से हम इंडिया क्लब को बंद करने की घोषणा करते हैं, जिसका आखिरी दिन 17 सितंबर को जनता के लिए खुला रहेगा.’

क्या है इस ऐतिहासिक ‘इंडिया क्लब’ की कहानी
भारत की आजादी की लड़ाई में इस इंडिया क्लब की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इंडिया लीग के लिए एक केंद्र के रूप में बनाया गया, यह क्लब लंदन में विभिन्न भारतीय संगठनों जैसे द इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन, इंडियन वर्कर्स एसोसिएशन और इंडियन सोशलिस्ट ग्रुप के लिए एक मिलन स्थल के रूप में कार्य करता था. इसकी सदस्यता में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अंतिम वायसराय की पत्नी लेडी माउंटबेटन जैसे नाम शामिल हैं.

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डेली टेलीग्राफ ने क्लब को रेस्टोरेंट से कहीं अधिक बताया. अखबार ने इसे एक रमणीय टाइम कैप्सूल बताया जो आगंतुकों को 1960 के दशक में कलकत्ता की जीवंत आभा में ले जाता है. 1951 में लंदन में भारत के पहले उच्चायुक्त कृष्ण मेनन द्वारा स्थापित, इंडिया क्लब ने एक गहन मिशन चलाया. इसका जन्म स्वतंत्रता के बाद के भारत-ब्रिटिश सौहार्द के प्रतीक के रूप में हुआ था.

इसके संस्थापक सदस्यों में से एक रहे कृष्ण मेनन बाद में यूके में पहले भारतीय उच्चायुक्त भी बने थे. भारत की स्वतंत्रता और विभाजन के बाद यह तेजी से ब्रिटिश, दक्षिण एशियाई समुदाय केंद्र में बदल गया. कृष्ण मेनन इसे ऐसी जगह बनाना चाहते थे. जहां गरीबी में जीवन बसर करने वाले युवा पेशेवर भारतीय खाना खा सकें और राजनीति पर चर्चा करके अपनी भविष्य की योजना भी बना सकें.

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क्लब के संस्थापक सदस्यों में से एक, चंद्रन थरूर की बेटी, लेखिका स्मिता थरूर ने कहा ‘मेरे पास शब्द नहीं हैं. मैं बेहद दुखी हूं. मेरे पिता क्लब के संस्थापक सदस्य थे कुछ दिन पहले, जब मैंने पहली बार इंडिया क्लब के बंद होने की खबर सुनी तो मेरे मन में लगातार इसके बारे में ख्याल आता रहा.’

स्मिता के भाई, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसके बारे में काफी भावनात्मक पोस्ट लिखा. उन्होंने लिखा ‘मुझे यह सुनकर दुख हुआ कि इंडिया क्लब, लंदन, सितंबर में स्थायी रूप से बंद होने वाला है. इसके संस्थापकों में से एक के बेटे के रूप में, मैं उस संस्था के बंद होने पर काफी दूखी हूं, जिसने लगभग तीन-चौथाई शताब्दी तक इतने सारे भारतीयों (और न केवल भारतीयों) की सेवा की. कई छात्रों, पत्रकारों और यात्रियों के लिए, यह घर से दूर एक घर था, जहां सस्ती कीमत पर अच्छी गुणवत्ता वाला भारतीय भोजन और साथ ही दोस्ती बनाए रखने के लिए एक सौहार्दपूर्ण माहौल मिलता था.’

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