Credit Card Defaults Increase- ईएमआई विकल्प, रोल-ओवर दर की तुलना में कम दर पर क्रेडिट प्रदान करता है. ज्यादातर डिफॉल्ट्स उन कार्ड्स में हो रहे हैं, जिन्हें खुले बाजार से बेचा गया है.
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नई दिल्ली. क्रेडिट कार्ड बकाया और डिफॉल्ट्स में लगातार वृद्धि हो रही है. इससे उधारकर्ताओं के बढ़ते वित्तीय संकट का संकेत मिलताह है. ट्रांसयूनियन सिबिल के ताजा आंकड़ों के अनुसार, जून 2024 तक क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट्स 1.8% तक पहुंच गया है. यह दिसंबर 2023 में 1.7% और मार्च 2023 में 1.6% था. भले ही प्रतिशत में यह वृद्धि मामूली लग रही हो, लेकिन क्रेडिट कार्ड का कुल बकाया में उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 2.7 लाख करोड़ रुपये हो गया है. मार्च 2024 में बकाया 2.6 लाख करोड़ रुपये और मार्च 2023 में 2 लाख करोड़ रुपये था. 2019 में महामारी से पहले, क्रेडिट कार्ड का कुल बकाया 87,686 करोड़ रुपये था. बकाया पिछले पांच साल में 24% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढा है.
मैक्वारी के अनुसंधान विश्लेषक सुरेश गणपति का कहना है कि यह प्रवृत्ति असुरक्षित ऋण क्षेत्र, यानी क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत लोन में बढ़ते तनाव को उजागर करती है. युवा मिलेनियल्स पूरी क्रेडिट लिमिट का इस्तेमाल कर रहे हैं और सीधे डिफॉल्ट कर रहे हैं. यह खतरनाक संकेत है.
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बढ़ रहा है क्रेडिट लॉस
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुरेश गणपति का कहना है कि क्रेडिट कार्ड में शुद्ध ऋण हानियां यानी क्रेडिट लॉस 5-6% तक पहुंच गया है. एसबीआई कार्ड्स का पिछली तिमाही में क्रेडिट लॉस 7.5% रहा था. डेब्ट रिलीफ प्लेटफॉर्म फ़्रीड के सीईओ रितेश श्रीवास्तव ने का कहना है कि उधारकर्ता आमतौर पर बड़े खर्च करने के बाद यह सोचकर डिफॉल्ट करते हैं कि वे इसे किस्तों में चुकाएंगे, लेकिन ऊंची ब्याज दरों के कारण उनका बकाया इतना बढ़ जाता है कि वे केवल न्यूनतम भुगतान ही कर पाते हैं. इसके बाद, वे छोटे व्यक्तिगत ऋण लेकर लोन-स्टैकिंग में फंस जाते हैं.
इन कार्ड्स का डिफॉल्ट ज्यादा
एक निजी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ईएमआई विकल्प, रोल-ओवर दर की तुलना में कम दर पर क्रेडिट प्रदान करता है. ज्यादातर डिफॉल्ट्स उन कार्ड्स में हो रहे हैं, जिन्हें खुले बाजार से बेचा गया है, क्योंकि एजेंट्स को इन्हें बेचने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है.
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असुरक्षित ऋण को लेकर आरबीआई सतर्क
हालांकि असुरक्षित ऋण क्षेत्र (बिना कुछ गिरवी रखे मिलने वाला लोन) में तनाव बढ़ रहा है, विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पहले से ही कदम उठा लिए हैं. नवंबर 2023 में उठाए गए आरबीआई के उपायों के बाद असुरक्षित ऋण क्षेत्र में वृद्धि 25% से घटकर 15% तक आ गई है, जिससे नियामक अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो रहा है.