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Diffusion Engineers IPO : आईपीओ के पहले दिन GMP 48% पहुंचा, क्या 158 करोड़ के इश्यू में लगाएं दांव, समझ लें गुड और बैड फैक्टर्स

IPO

Diffusion Engineers IPO GMP : डिफ्यूजन इंजीनियर्स के आईपीओ को लेकर ग्रे मार्केट में क्रेज देखने को मिल रहा है. कंपनी का अनलिस्टेड स्टॉक ग्रे मार्केट में 80 रुपये के प्रीमियम पर है. जबकि आईपीओ में अपर प्राइस बैंड 168 रुपये है.

IPO News : डिफ्यूजन इंजीनियर्स (Diffusion Engineers) का इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) आज 26 सितंबर 2024 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है. इसमें 30 सितंबर तक निवेश किया जा सकता है. आईपीओ का साइज 158 करोड़ रुपये है. पूरी तरह से इक्विटी फ्रेश इश्यू है. इसमें कोई ऑफर फॉर सेल नहीं है. कंपनी ने अपने आईपीओ के लिए प्राइस बैंड 159-168 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है. 4 अक्टूबर को कंपनी के शेयर बीहएसई और एनएसई पर लिस्ट होंगे. 

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Diffusion Engineers : आईपीओ की डिटेल 

आईपीओ ओपेन डेट : 26 सितंबर, 2024

आईपीओ क्लोज डेट : 30 सितंबर, 2024

फेस वैल्यू : 10 प्रति इक्विटी शेयर 

IPO प्राइस बैंड : 159 से 168 रुपये प्रति शेयर

इश्यू साइज : 158 करोड़ रुपये 

1 लॉट साइज : 88 शेयर

कम से कम निवेश : 14784 रुपये

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IPO GMP : 48%

डिफ्यूजन इंजीनियर्स के आईपीओ को लेकर ग्रे मार्केट में क्रेज देखने को मिल रहा है. कंपनी का अनलिस्टेड स्टॉक ग्रे मार्केट में 80 रुपये के प्रीमियम पर है. जबकि आईपीओ में अपर प्राइस बैंड 168 रुपये है. इस लिहाज से शेयर के 248 रुपये पर लिस्ट होने की उम्मीद है, जो 48 फीसदी प्रीमियम है. 

कंपनी का बिजनेस

डिफ्यूजन इंजीनियर्स की शुरुआत 1982 में हुई थी. ये वेल्डिंग कंज्यूमेबल्स, वियर प्लेट्स और वियर पार्ट्स और कोर इंडस्ट्रीज के लिए हैवी इंजीनियरिंग मशीनरी की मैन्युफैक्चरिंग के बिजनेस में शामिल है. कंपनी अपनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी में सुपरकंडिशनिंग प्रोसेस, मशीन कंपोनेंट्स के लिए सर्फेस ट्रीटमेंट सॉल्यूशन उपलब्ध करती है जो वियर रसिस्टेंस बढ़ाते हैं, स्ट्रेस घटाते हैं और रिपेयरबिलिटी में सुधार करते हैं जिससे उनका लाइफस्पेन बढ़ता है और प्रोडक्शन की लागत घटती है. मौजूदा समय में कंपनी चार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से ऑपरेट करती है. इनमें से यूनिट्स I, II और III नागपुर के नागपुर इंडस्ट्रीयल एरिया में स्थित हैं. जबकि यूनिट IV नागपुर के खपरी में है.

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हालांकि कंपनी अपनी सेल्स के लिए घरेलू बाजार पर निर्भर है. इसमें कोई गिरावट आने पर मार्केट शेयर पर असर पड़ सकता है. कंपनी का कुछ वित्त वर्ष में निगेटिव कैश फ्लो रहा है. कंपनी का बिजनेस वर्किंग कैपिटल इंटेंसिव है. उसके ऑपरेशंस के किसी अपर्याप्त कैश फ्लो या अपनी वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेने की क्षमता न होने से बिजनेस और ऑपरेशंस पर बुरा असर पड़ सकता है.

किसके लिए ​कितना रिजर्व

डिफ्यूजन इंजीनियर्स के आईपीओ में रिटेल निवेशकों के लिए 35 फीसदी कोटा रिजर्व है. वहीं इसमें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स यानी QIB के लिए 50 फीसदी कोटा रिजर्व है. जबकि नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स यानी NII के लिए 15 फीसदी हिस्सा रिजर्व है. 

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