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रिश्वत के बदले मिल रही थी कंपनियों को ‘ग्रीन क्लीयरेंस’, सीबीआई ने रैकेट का किया भंडाफोड़

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गिरफ्तार किए गए शख्स में से एक की पहचान वरिष्ठ पर्यावरण इंजीनियर मोहम्मद आरिफ के रूप में हुई है और दूसरे की पहचान भागवत शरण सिंह के रूप में हुई है जो मध्यस्थ की भूमिका निभाता था.

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नई दिल्ली: दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है. इस मामले में सीबीआई ने दो शख्स को गिरफ्तार किया है. इनमें से एक वरिष्ठ पर्यावरण इंजीनियर हैं, जिन्होंने सावधानीपूर्वक इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. सीबीआई ने दिल्ली के जसोला विहार में रहने वाले इंजीनियर के घर से 2 करोड़ रुपये से अधिक पैसा बरामद किया है. दरअसल, रैकेट चलाने वाले प्राइवेट कंपनियों के लिए डीपीसीसी सहमति को रिन्यू करने के लिए रिश्वत मांगते थे और इस दौरान उनका मुख्य टार्गेट रेड कैटेगरी में आने वाली फर्म या कंपनियां होती थीं.

2 लोगों को किया गया है गिरफ्तार

गिरफ्तार किए गए शख्स में से एक की पहचान वरिष्ण पर्यावरण इंजीनियर मोहम्मद आरिफ के रूप में हुई है और दूसरे की पहचान भागवत शरण सिंह के रूप में हुई है जो मध्यस्थ की भूमिका निभाता था. 8 सितंबर को दर्ज की गई एफआईआर में सीबीआई ने नरेला औद्योगिक क्षेत्र में स्थित दो फर्मों के मालिकों, मेसर्स राम इलेक्ट्रोप्लेटर्स के राज कुमार चुघ और मेसर्स एमवीएम के गोपाल नाथ कपूरिया के साथ सिंह के बेटे किशलय को भी आरोपित किया है. 

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सीबीआई ने कही ये बात

सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा, “कथित भ्रष्ट आचरण से संबंधित खुफिया जानकारी मिलने के बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की और एक ऑपरेशन की योजना बनाई गई और आरोपियों को 91,500 रुपये की रिश्वत की रकम का लेन-देन करते हुए पकड़ा गया. आरोपियों के आवासीय और आधिकारिक परिसरों में व्यापक तलाशी ली गई, जिसके बाद आरोपियों के घर से 2.4 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई, इसके अलावा कुछ संपत्ति से संबंधित दस्तावेज भी मिले, जिनकी फिलहाल जांच की जा रही है.”

डीपीसीसी से कैसे सहमति प्राप्त करती हैं कंपनियां

  • क्यों की गई रिश्वत की मांग -दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमिटी से रिन्यू के लिए सहमित पाने के लिए इस तरह से रिश्वत ली गई
  • कौन सी फर्म हैं टारगेट– डीपीसीसी की रेड कैटेगरी में आने वाली फर्म को किया जाता है टारगेट
  • सहमति की रचना– डीपीसीसी का अपना ऑनलाइन कंसेंट मैनेजमेंट और मॉनिटरिंग सिस्टम है. ये इंडस्ट्री को रेड, ऑरेंज, ग्रीन और व्हाइट कैटेगरी में बांटता है ताकि वो सहमति दे सके और सभी फर्मों या कंपनियों को उनके दायरे के मुताबिक चीजें कर सके. डीपीसीसी इंडस्ट्रीज को कैटेगराइज करने के लिए पॉल्यूशन इंडेक्स का इस्तेमाल करती है. 
  • रेड कैटेगरी – वो इंडस्ट्री जिनका पॉल्यूशन इंडेक्स 60 या 60 से अधिक होता है. 
  • ऑरेंज कैटेगरी – वो जिनका पॉल्यूशन इंडेक्स 41 से 59 के बीच होता है. 
  • ग्रीन कैटेगरी – वो इंडस्ट्री जिनका पॉल्यूशन इंडेक्स 21 से 40 के बीच होता है. 
  • व्हाइट कैटेगरी – जिन इंडस्ट्री का पॉल्यूशन इंडेक्स 20 या उससे कम होता है. 
  • आधिकारिक तरीके से कैसे प्राप्त करें सहमति– सहमति के लिए ऑनलाइन एप्लीकेशन दर्ज करानी पड़ती है. डीपीसीसी, ऑफलाइन एप्लीकेशन एक्सेप्ट नहीं करता है. डिजिटल मोड के जरिए सहमित की फीस भी जमा कराएं. 
  • फीस को कैलकुलेट करने के लिए वेब पर ही सॉफ्टवेयर इंबिल्ट है जिस पर एप्लीकेशन जमा करते वक्त आप फीस को कैलकुलेट कर सकते हं. 

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एफआईआर में कही गई है ये बात

एफआईआर के मुताबिक, सीबीआई को सूत्रों से मिली जानकारी से पता चला कि सिविल लाइन के विकास भवन-2 में डीपीसीसी कार्यालय में काम करने वाले आरिफ इन भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त था और प्राइवेट फर्म से रिश्वत लेता था और इसके बदले में वो उनकी फर्म के लिए डीपीसीसी की सहमति को रिन्यू कराने में मदद करता था. एफआईर में आरोप लगाया गया है कि, “यह अवैध गतिविधि नजफगढ़ में रहने वाले एक निजी व्यक्ति भगवत शरण सिंह की मिलीभगत से की जा रही थी, जो डीपीसीसी से संबंधित मामलों में फर्मों के लिए मध्यस्थ और सलाहकार के रूप में काम करता है. भगवत शरण सिंह फर्म से रिश्वत का पैसा उठाता ह और हर कुछ समय के अंतर पर उसे आरिफ तक पहुंचाता है. 

सीबीआई को मिली थी टिप

सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने टिप मिलने के बाद आरिफ पर उसकी संदिग्ध गतिविधियों को लेकर उसपर नजर रखना शुरू कर दिया था. एक सूत्र ने बताया, “9 अगस्त को निगरानी रखते हुए पता चला कि आरिफ ने सिंह से संपर्क किया है और एक हफ्ते के अंदर रेड कैटेगरी में आने वाली फर्मों के लिए रिन्यू की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा. इसी तरह 18 अगस्त को आरिफ ने सिंह से मिलने के लिए कहा. इस पर सिंह ने कहा कि वह मीटिंग में नहीं आ पाएगा क्योंकि उसे फर्म से अभी पैसे नहीं मिले हैं और इनमें वो चार फर्म भी शामिल हैं जो रेड कैटेगरी में आती है.”

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आरिफ पर नजर रखे हुए थी सीबीआई

सूत्र ने आगे बताया, जवाब में आरिफ ने सिंह को चतुराई से काम लेने और फर्मों को रियायतें देने की सलाह दी, खासकर अगर पार्टी प्रभावशाली हो और पैसे नहीं दे रही हो. 25 अगस्त को आरिफ ने चार फर्मों से उनके रिन्यू प्रोसेस के संबंध में पैसे देने की स्थिति के बारे में पूछा. सिंह ने आरिफ को बताया कि दो फर्मों ने उन्हें इसी हफ्ते में पैसे देने का आश्वासन दिया है. इसके बाद आरिफ ने सिंह को पैसे इकट्ठा करने के बाद उनसे मिलने और जरूरी रिन्यू आवेदनों के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया.

सिंह से लगातार संपर्क में था आरिफ

बदले में, सिंह ने रिश्वत लेने के लिए 2 सितंबर को चुघ से संपर्क किया. फिर आरिफ ने अन्य कंपनियों के बारे में पूछा और सिंह को निर्देश दिया कि अगर वो पैसा देने के लिए तैयार नहीं हैं तो वो अपने अधिकारियों को उनकी साइट पर भेज देंगे. निगरानी रख रही टीम की रिपोर्ट के मुताबिक, उसी दिन सिंह ने कपूरिया से संपर्क किया और रिश्वत न देने पर साइट पर अधिकारियों को भेजने की धमकी देते हुए 1 लाख रुपये की मांग की. 

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पुलिस की कार्रवाई जारी

गिरफ्तार लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया है और अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है. सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि डीपीसीसी के अन्य अधिकारियों की संलिप्तता भी जांच के दायरे में है.

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