अमेरिकी कंपनियां चीन में बढ़ती समस्याओं के कारण वहां से भाग रही हैं. भारत में निवेश के अवसर और प्रोत्साहन योजनाएं उन्हें आकर्षित कर रही हैं, जिससे भारत एक प्रमुख निवेश स्थल बनता जा रहा है.
चीन में अमेरिकी कंपनियां अब परेशान हैं. हाल ही में, चीनी सरकार ने अपने कर्मचारियों को आईफोन इस्तेमाल करने से मना कर दिया. इससे कंपनियों की चिंता बढ़ गई है.
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ट्रेड वार का असर
2016 में, अमेरिका और चीन के बीच “ट्रेड वार” शुरू हुआ. डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद, अमेरिका ने चीन से आने वाले कई उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिए. चीन ने भी इसका जवाब दिया. इस युद्ध ने दोनों देशों के व्यापार को प्रभावित किया.
कंपनियों की खोज
ट्रेड वार के कारण, कई अमेरिकी कंपनियों ने सस्ते उत्पादन के लिए नए देशों की तलाश शुरू की. वे भारत, वियतनाम और ताइवान जैसे देशों में निवेश करने का सोच रही हैं.
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भारत के लिए मौका
भारत ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए “प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव” (PLI) स्कीम शुरू की. यह योजना कंपनियों को भारत में उत्पादन करने के लिए लाभ और प्रोत्साहन देती है.
बड़ी कंपनियों का आना
इस योजना के चलते, कई बड़ी कंपनियां भारत में निवेश करने लगी हैं. जैसे सैमसंग और एप्पल, जिन्होंने अपने उत्पादन यूनिट भारत में खोले हैं.
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निवेश का आंकड़ा
एक रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2023 तक भारत में 1.03 ट्रिलियन रुपये का निवेश हुआ है. भारत ने निर्यात में भी वृद्धि की है, जो 3.20 ट्रिलियन रुपये को पार कर गया है.
गिरावट
यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट बताती है कि चीन में अमेरिकी निवेश 2023 में 14% गिर गया है. करीब 50 कंपनियां चीन छोड़ने की सोच रही हैं. इनमें से 15 कंपनियां भारत को सबसे पसंदीदा जगह मानती हैं.
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भारत का ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
भारत में व्यापार करना आसान हो रहा है. पिछले साल भारत इस रिपोर्ट में 5वें नंबर पर था. अब वह दूसरे नंबर पर आ गया है. यह निवेशकों के लिए अच्छी खबर है.
भारतीय बाजार की मजबूती
भारत की युवा जनसंख्या और बढ़ता मध्य वर्ग इसे एक आकर्षक बाजार बनाते हैं. अमेरिकी कंपनियों को लगता है कि यहाँ निवेश करना फायदेमंद होगा.
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प्रबंधन कंपनियों की राय
प्रबंधन कंसल्टिंग कंपनियों ने भी भारत में निवेश करने की इच्छा जताई है. 2023 में, 54% कंपनियां भारत में निवेश की सोच रही हैं.
गौरतलब है कि चीन में बढ़ती समस्याएं और भारत में मिलने वाले अवसरों के कारण, अमेरिकी कंपनियां अब भारत में निवेश को प्राथमिकता दे रही हैं. यह भारत के लिए एक सुनहरा मौका है.