Penalty on Bajaj Auto : देश की अग्रणी ऑटो कंपनी बजाज पर जीएसटी भुगतान नहीं करने के आरोप में 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. हालांकि, कंपनी का कहना है कि वह जुर्माना भरने के बजाय इस आदेश को कानूनी रूप से चुनौती देने पर विचार कर रही है.
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नई दिल्ली. बजाज ऑटो लिमिटेड ने शुक्रवार को बताया कि उपकरण क्लस्टर के वर्गीकरण पर अलग-अलग जीएसटी से संबंधित मामले में कर प्राधिकरण ने उस पर 10 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना और ब्याज लगाया है. कंपनी ने कहा कि वह इसे कानूनी रूप से चुनौती देगी. उसे भरोसा है कि कंपनी के खिलाफ की गई यह कार्रवाई प्राधिकरण के अधिकार के दायरे में नहीं आती है. लिहाजा इसे कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
बजाज ऑटो ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि केंद्रीय माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के संयुक्त आयुक्त, पुणे – II आयुक्तालय ने जुलाई, 2017 से मार्च, 2022 की अवधि के लिए एचएसएन कोड 8708/8714 के तहत इंस्ट्रूमेंट्स क्लस्टर के वर्गीकरण की पुष्टि करते हुए एक आदेश पारित किया, जबकि कंपनी द्वारा 9029 का वर्गीकरण अपनाया गया था.
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क्यों लगाया है जुर्माना
कंपनी ने कहा, ‘आदेश में 10,03,91,402 रुपये के जीएसटी अंतर की मांग की पुष्टि की गई है. संयुक्त आयुक्त ने कंपनी द्वारा जमा किए गए टैक्स के विरुद्ध इस मांग को विनियोजित और समायोजित किया है. आदेश में 10,03,91,402 रुपये का लागू ब्याज और समतुल्य जुर्माना और 25,000 रुपये का सामान्य जुर्माना भी लगाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप कुल जुर्माना 10,04,16,402 रुपये होगा’.
कंपनी का दावा-आदेश में दम नहीं
कंपनी ने कहा कि उसे विश्वास है कि संयुक्त आयुक्त द्वारा पारित आदेश में कोई दम नहीं है और यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इसके अलावा, संयुक्त आयुक्त द्वारा पारित आदेश में कंपनी द्वारा उक्त कारण बताओ नोटिस के खिलाफ दायर रिट याचिका की अनदेखी की गई है, जो बंबई उच्च न्यायालय में लंबित है.’ ऐसे में कंपनी के खिलाफ आयुक्त की ओर से की कार्रवाई कोई मायने नहीं रखती है.
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कंपनी पर कोई वित्तीय प्रभाव नहीं
बजाज ऑटो ने कहा कि उनका मामला बहुत मजबूत है और उक्त आदेश के खिलाफ ‘उचित कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी’. इस आदेश का उसपर कोई बड़ा वित्तीय प्रभाव नहीं पड़ेगा. फिलहाल कंपनी अपने ऊपर लगाए गए जुर्माने का भुगतान करने बजाय इसे कानूनी रूप से चुनौती देने पर विचार कर रही है. इस पर आगे फैसला तभी लिया जाएगा, जब कोर्ट की तरफ से कोई आदेश पारित होगा.