Budget 2025 News: मोदी सरकार आम बजट 2025 में शहरी श्रमिकों को लेकर बड़ा ऐलान किया है. असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, अमेजन, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों में पार्ट टाइम जॉब करने वाले डिलीवरी बॉय और ओला-उबर के ड्राइवरों को अब पहचान पत्र दिया जाएगा.
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Budget News: मोदी सरकार आम बजट 2025 में गिग वर्कर्स (Gig Workers) के लिए बड़ा ऐलान किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है मोदी सरकार एक करोड़ गिग वर्कर्स को पहचान पत्र प्रदान करेगी और ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण करेगी. केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि शहरी श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के उद्देश्य से यह योजना लागू करेगी. बता दें कि मोदी सरकार के इस फैसले से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, अमेजन, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों में पार्ट टाइम जॉब करने वाले डिलीवरी बॉय और ओला-उबर के ड्राइवरों को बड़ा फायदा पहुंचेगा.
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बता दें कि मोदी सरकार पहली बार देश में गिग वर्कर्स के लिए बड़ा ऐलान किया है. देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार अब गिग वर्कर्स को पहचान पत्र देगी. गिग वर्कर्स को भी सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जाएगी. सीतारमण ने कहा कि उनकी सरकार स्ट्रीट वेंडर्स और ऑनलाइन और शहरी श्रमिकों में निवेश करेगी. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के गिग वर्कर्स को पहचान पत्र और ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.
गिग वर्कर्स को क्या-क्या फायदे होंगे?
वित्त मंत्री ने कहा, ‘ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर गिग वर्कर ‘न्यू एज’ सेवा अर्थव्यवस्था में अत्यधिक गतिशीलता लाते हैं. उनके योगदान को स्वीकार करते हुए हमारी सरकार ई-श्रम पोर्टल पर उनके पहचान पत्र और पंजीकरण की सुविधा प्रदान करेगी. इसके अलावा भी गिग श्रमिकों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के तहत स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच मिलेगी. इससे लगभग 1 करोड़ श्रमिकों को लाभ होगा.
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1 करोड़ गिग वर्कर्स को मिलेगी अब ये सुविधा
बता दें कि इस वर्ग में स्वतंत्र रूप से ठेके पर काम करने वाले कर्मचारी होते हैं. इनमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले लोग, डिलिवरी सेवाएं, टैक्सी सेवाएं, कॉल पर सुधार कार्य करना जैसी बहुत सी सेवाएं शामिल होती हैं. भारत में इन दिनों इस क्षेत्र में लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. फूड डिलिवरी करने वाले या ओला ऊबर जैसी टैक्सी चलाने वाले लोग गिग कर्मचारी की श्रेणी के माने जाते हैं. बजट 2025 के बाद इन लोगों का जीवन बदल सकता है.
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ओला-उबर के ड्राइवरों की बल्ले-बल्ले
बता दें कि पिछले कुछ सालों में भारत में गिग वर्कर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. इसकी वजह ऑनलाइन व्यवसाय में तेजी से बढ़ोत्तरी का होना है. ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म, और ड्राइविंग जैसे कार्यों में इन कर्मचारीयों की संख्या बहुत ज्यादा है, लेकिन सबसे ज्यादा ऑनलाइन खरीदारी के सामान की डिलिवरी से जुड़े हैं जो सुबह से लेकर देर रात के बीच का अपना समय चुनते हैं.
रेहड़ी-पटरी वाले कम आम आमदनी वाले की मौज
इसके साथ अमेरिका की तरह अब भारत में भी ऐसे मजदूरों को ईएसआई के साथ-साथ एक्सीडेंटेल बीमा का लाभ मिलेगा. पिछले साल ही श्रम मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट तैयार कर फाइनेंशियल अप्रूवल के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेजा था. गिग एंड प्लेटफॉर्म लेबर एक्ट आ जाने के बाद इन श्रमिकों को कई तरह के लाभ मिलने शुरू हो जाएंगे. मसलन उनको काम करने के बदले सुरक्षा की गारंटी होगी, दुर्घटना बीमा का लाभ उनके परिजनों को मिलेगा. काम करने के घंटे तय होंगे.
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श्रम मंत्रालय आने वाले दिनों में 10 करोड़ लोगों को रजिस्ट्रेशन करेगा. खासकर ओला, उबर, अमेजन, फ्लिपकार्ट या जोमैटो जैसी कंपनियों में पार्ट टाइम जॉब करने वाले लोगों को इससे सीधा फायदा पहुंचेगा. मोदी सराकर नए कानून में यह भी मेंशन कर सकती है कि अगर कोई शख्स इन कंपनियों में महीने में कम से कम 90 घंटे, 120 घंटे या 160 घंटे काम करता है तो उसे ईएसआई और एक्सीडेंटल बीमा का लाभ घंटों के काम के हिसाब से दिया जाए.
