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पाकिस्तान-चीन की बढ़ेगी टेंशन, 114 नए लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी में भारतीय वायुसेना; जानें क्यों हैं ये खास

Indian Air Force: भारतीय वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 114 नए मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी कर रही है. रक्षा मंत्रालय की एक कमेटी ने इस जरूरत को सही ठहराया है. कोई भी विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी कर इन लड़ाकू विमानों को भारत में ही बनाएगी. 

New Medium Range Fighter Aircraft: भारतीय सेना दुनिया की सबसे ताकतवर और संगठित सेनाओं में से एक है. थल, जल और वायु तीनों मोर्चों पर भारतीय सेना ने अपनी क्षमताओं को साबित किया है. आतंकवाद से लेकर सीमाओं की सुरक्षा तक, भारतीय सेना हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहती है. अब भारतीय वायुसेना अपनी ताकत से पाकिस्तान और चीन की टेंशन बढ़ाने वाली है.

टीडीएस या टीसीएस यानि टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स पर टैक्स कलेक्शन करने की आखिरी तारीख 7 मार्च 2025 है जिसे भी टैक्स पेमेंट करना है वह अंतिम तिथि से पहले यह काम कर ले नहीं, तो उन्हें फिर जमाने का भुगतान करना होगा.

टीडीएस और टीसीएस के बीच अंतर –

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दरअसल, भारतीय वायुसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 114 नए मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी कर रही है. रक्षा मंत्रालय की एक कमेटी ने इस जरूरत को सही ठहराया है क्योंकि पुराने सोवियत युग के लड़ाकू विमान अब रिटायर हो रहे हैं और नए विमानों की कमी की वजह से वायुसेना के स्क्वाड्रनों की तादाद घट रही है. 1965 के बाद यह पहली बार है जब वायुसेना के स्क्वाड्रन इतने कम हो गए हैं. इस कमी को पूरा करने के लिए नए विमान जरूरी हो गए हैं.

C-295 मॉडल पर होगा विमान का निर्माण
वायुसेना चीफ एपी सिंह ने कहा है कि नए लड़ाकू विमानों का निर्माण C-295 मॉडल पर किया जाना चाहिए. यह वही मॉडल है जिसके तहत एयरबस और टाटा मिलकर भारत में सैन्य परिवहन विमान ( Military Transport Aircraft ) बना रहे हैं. इसी तरह, कोई भी विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी कर इन लड़ाकू विमानों को भारत में बनाएगी. इससे भारतीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और तकनीकी क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी.

कौन-कौन सी कंपनियां दौड़ में हैं?
इस सौदे में बोइंग (F/A 18 सुपर हॉर्नेट), लॉकहीड मार्टिन (F 21), डसॉल्ट (राफेल) और साब (ग्रिपेन) जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हो सकती हैं. इसमें से बोइंग और महिंद्रा पहले ही इस प्रोजेक्ट पर चर्चा कर चुके हैं.
वहीं, लॉकहीड मार्टिन टाटा के साथ मिलकर काम कर सकती है. हालांकि, इसका F-35 विमान इस दौड़ में शामिल नहीं होगा, क्योंकि भारत चाहता है कि नए विमान भारत में ही बनाए जाएं और साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी हो.

टीडीएस या टीसीएस यानि टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स पर टैक्स कलेक्शन करने की आखिरी तारीख 7 मार्च 2025 है जिसे भी टैक्स पेमेंट करना है वह अंतिम तिथि से पहले यह काम कर ले नहीं, तो उन्हें फिर जमाने का भुगतान करना होगा.

टीडीएस और टीसीएस के बीच अंतर –

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जबकि फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट ने एक प्रस्ताव भेजा है कि अगर उसे 114 विमानों का ऑर्डर मिलता है, तो वह भारत में एक सहायक कंपनी बनाएगी, जो भारतीय वायुसेना के लिए और निर्यात के लिए विमान बनाएगी. स्वीडन की कंपनी ‘साब’ पहले अडानी डिफेंस के साथ काम कर रही थी, लेकिन अब यह समझौता दोनों के बीच समाप्त हो गया है. रूस भी अपने लड़ाकू विमान पेश करने को तैयार है, लेकिन भारतीय वायुसेना को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और उन्नत तकनीक वाले विमान चाहिए, जो चीन की चुनौती का सामना कर सकें.

नए विमान की ये हैं खासियतें?
वायुसेना को 114 बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान (MRFA) चाहिए, जो कई तरह के काम कर सकें. इन विमानों की खासियतें होंगी:-

-दुश्मन के विमानों को मार गिराने की क्षमता.
-जमीन पर हमला करने में सक्षम.
-सर्विलांस और निगरानी में मदद करेंगे.
-रडार और मिसाइल हमलों से बचने की नई तकनीक होगी.
-बेहतर हथियारों से लैस होंगे. 
इसके अलावा, स्वदेशी लड़ाकू विमान LCA तेजस और AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) भी भारतीय वायुसेना की ताकत को बढ़ाएंगे.

डिफेंस सेक्टर के लिए बड़ा सौदा
यह डील सिर्फ वायुसेना के लिए ही नहीं, बल्कि भारतीय रक्षा उद्योग के लिए भी बहुत अहम है. इससे भारत में नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी. इस डील से भारत की डिफेंस इंडस्ट्री को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी और देश की रणनीतिक तैयारियों में भी सुधार होगा. अब देखना होगा कि कौन-सी कंपनी इस बड़े सौदे को अपने नाम करती है और भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत करने में योगदान देती है.

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