प्राइमरी मार्केट में निवेशकों का रुझान नए आईपीओ के प्रति इसलिए घट गया कि शेयरों की लिस्टिंग अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रही थी,
लेकिन 11 मार्च 2025 को NAPS Global India IPO के शेयरों ने स्टॉक एक्सचेंजों पर जोरदार शुरुआत की.90 रुपये प्रति शेयर वाले इस इश्यू ने बीएसई पर 108 रुपये के साथ शुरुआत की. यह 18 रुपये या 20 प्रतिशत के लिस्टिंग गेन को दर्शाता है.उल्लेखनीय है कि लिस्टिंग के पहले ग्रे मार्केट में कोई हलचल नहीं थी और फ्लैट लिस्टिंग का इशारा मिल रहा था. लेकिन लिस्टिंग जोरदार हुई.11.88 करोड़ रुपये जुटाने के लिए यह एसएमई आईपीओ 4 से 6 मार्च तक खुला था. इसे निवेशकों का बेहद ठंडा रिस्पॉन्स मिला था. यह इश्यू सब्सक्रिप्शन के तीसरे दिन जाकर पूरी तरह सब्सक्राइब हो पाया था.इस इश्यू को कुल मिला कर 1.19 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था.
रिटेल कैटेगरी 1.6 गुना और एनआईआई कैटेगरी 0.78 गुना ही सब्सक्राइब हो पाई थी. इस इश्यू से प्राप्त शुद्ध आय का उपयोग कंपनी अपनी कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करने और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करेगी.एनएपीएस ग्लोबल इंडिया लिमिटेड टेक्सटाइल का होलसेल इम्पोर्टर है. यह कंपनी महाराष्ट्र की गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग सप्लाई चेन की प्रमुख खिलाड़ी है.
कंपनी का चीन और हांगकांग में एक स्थापित सप्लायर नेटवर्क के साथ पूरे भारत में ऑपरेशन है. कंपनी चीन और हांगकांग में एक मजबूत आपूर्तिकर्ता नेटवर्क का लाभ उठाते हुए भारत में गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स से फैब्रिक खरीदती और सप्लाई करती है.यह ग्राहकों की जरूरतों को समझती है और मुख्य रूप से बिजनेस-टू-बिजनेस मॉडल में ट्रेंडी डिजाइन और रंग संयोजन प्रदान करती है.फैब्रिक और गारमेंट्स में कंपनी के प्रोडक्ट्स में सूती कपड़े सुपर-सॉफ्ट मखमली कपड़े,
बुने हुए कपड़े, लिनन कपड़े, महिलाओं के टॉप, पुरुषों की शर्ट एवं टी-शर्ट तथा बच्चों के पहनने वाली जींस शामिल हैं.वित्त वर्ष 24 में कंपनी का रेवेन्यू वित्त वर्ष 23 के 26.01 करोड़ रुपये से बढ़ कर 47.88 करोड़ रुपये हो गया. इसी तरह वित्त वर्ष 24 में प्रॉफिट आफ्टर टैक्स वित्त वर्ष 23 के 27 लाख रुपये से बढ़ कर 1.45 करोड़ रुपये हो गया.चालू वित्त वर्ष में 31 दिसंबर 2024 को समाप्त अवधि तक कंपनी का रेवेन्यू 52.83 करोड़ रुपये और प्रॉफिट आफ्टर टैक्स 1.53 करोड़ रुपये है.(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
